तुंगनाथ मंदिर

महत्वपूर्ण जानकारी

  • Location: Rudraprayag, Uttarakhand 246419
  • Open and Close  Timings: : 06.00 am to 07:00 pm.
  • April - Opening of the temple on Akshaya Tritiya(April/May)
  • November - Temple closes for winter after Diwali
  • Aarti Timings: 06:00 am and 06:30 pm
  • Nearest Airport : Jolly Grant airport of Dehradun at a distance of nearly 223 kilometres from Tungnath.
  • Nearest Railway Station: Rishikesh railway station at a distance of nearly 210 kilometres from Tungnath.
  • Primary deity: Lord Shiva.
  • Did you know: The Tungnath Temple is one of the Panch Kedars and the second number of Panch Kedars. The temple was built by the Pandavas.

तुंगनाथ मंदिर गढ़वाल के रुद्रप्रयाग जिले, उत्तराखण्ड में स्थित है। तुंगनाथ मंदिर, तुंगनाथ पर्वत पर स्थित है, जो 3,680 मीटर की ऊँचाई पर बना हुआ है। तुंगनाथ मंदिर पंच केदारों में से एक है तथा पंच केदारों में दूसरा नम्बर आता है। इस मंदिर का पांडवों ने बनाया था। यह पंच केदारों में सबसे ऊँचाई पर स्थित है। यह मंदिर 1,000 वर्ष पुराना माना जाता है और यहाँ भगवान शिव की पंच केदारों में से एक के रूप में पूजा होती है। तुंगनाथ पर्वतों में मंदाकिनी और अलकनंदा नदी घाटियों का निर्माण होता है। चोपता समुद्रतल से बारह हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां से तीन किमी की पैदल यात्रा के बाद तेरह हजार फुट की ऊंचाई पर तुंगनाथ मंदिर है।

एक कथा के अनुसार इस मंदिर को पंचकेदार इसलिए माना जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद पांडवो अपने पाप से मुक्ति चाहते थे इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवो को सलाह दी थी कि वे भगवान शंकर का आर्शीवाद प्राप्त करे। इसलिए पांडवो भगवान शंकर का आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए वाराणसी पहुंच गए परन्तु भगवान शंकर वाराणसी से चले गए और गुप्तकाशी में आकर छुप गए क्योकि भगवान शंकर पंाडवों से नाराज थे पांडवो अपने कुल का नाश किया था। जब पांडवो गुप्तकाशी पंहुचे तो फिर भगवान शंकर केदारनाथ पहुँच गए जहां भगवान शंकर ने बैल का रूप धारण कर रखा था। पांडवो ने भगवान शंकर को खोज कर उनसे आर्शीवाद प्राप्त किया था। ऐसा माना जाता है कि जब भगवान शंकर बैल के रूप में अंतर्ध्यान हुए, तो उनके धड़ से ऊपर का भाग काठमाण्डू में प्रकट हुआ। अब वहां पशुपतिनाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। शिव की भुजाएं तुंगनाथ में, मुख रुद्रनाथ में, नाभि मध्यमाहेश्वर में, भगवान शंकर बैल की पीठ की आकृति-पिंड के रूप में श्री केदारनाथ में पूजे जाते हैं और जटा कल्पेश्वर में प्रकट हुए। इसलिए इन चार स्थानों सहित श्री तुंगनाथ को पंचकेदार कहा जाता है।

जनवरी-फरवरी के महीने में ये पूरा क्षेत्र बर्फ से ढका रहता है। चोपता के बारे में ब्रिटिश कमिश्नर एटकिन्सन ने कहा था कि जिस व्यक्ति ने अपने जीवनकाल में चोपता नहीं देखा उसका इस पृथ्वी पर जन्म लेना व्यर्थ है। एटकिन्सन की यह उक्ति भले ही कुछ लोगों को अतिरेकपूर्ण लगे लेकिन यहां का सौन्दर्य अद्भुत है, इसमें किसी को संदेह नहीं हो सकता। किसी पर्यटक के लिए यह यात्रा किसी रोमांच से कम नहीं है।




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