कांगड़ा देवी मंदिर

महत्वपूर्ण जानकारी

  • Timing Open: 1 April to 30th September 5.00 am to 9.00 pm,
  • 1st October to 31st March 6.30 am to 8.00 pm,
  • Navratri Festival : 5.00 am to 10.30 pm
  • Aarti time: 1 April to 30th September 5.30 am and 8.30 pm,
  • 1st October to 31st March 7.00 am and  7.00 pm,
  • Nearest Railway station : The nearest broadgauge railhead  is Pathankot at a distance of 90kms..
  • Nearest Airport :  The nearest airport at Gaggal in HP is 13 km from Jwalaji. Chandigarh Airport is about 225 Kms Airport at Shimla is about 160 Kms. The distance from Kullu airport in HP is about 250 Kms.
  • Main Attraction: March-April & September-October Navaratra Celebrations

वजेश्वरी मंदिर व कांगड़ा देवी मंदिर नगर कोट, कांगड़ा जिले, हिमाचल प्रदेश में स्थित है। माता वजेश्वरी देवी मंदिर को नगर कोट की देवी व कांगड़ा देवी के नाम से भी जाना जाता है और इसलिए इस मंदिर को नगर कोट धाम भी कहा जाता है। इस स्थान का वर्णन माता दुर्गो स्तुति में भी किया गया हैः-

‘सोहे अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला।।
नगर कोट में तुम्हीं बिराजत। तिहूँ लोक में डंका बाजत।।

ऐसा माना जाता है इस मंदिर का निर्माण पांडव काल में किया गया था तथा कांगड़ा का पुराना नाम नगर कोट था। वजेश्वरी मंदिर के गृव ग्रह में रज छत्र के नीचे माता एक पिण्डी के रुप में विराज मान है, इस पिंडी की ही देवी के रूप में पूजा की जाती है। वजेश्वरी मंदिर में कई देवी व देवताओं की प्रतिमा विराजमान है तथा मंदिर बायें तरफ लाल भैरव नाथ की प्रतिमा विराजमान है। भैरव नाथ भगवान शिव का ही एक अवतार है।

माँ वजेश्वरी देवी व कांगड़ा देवी जी का मंदिर 51 सिद्व पीठों में से एक है। माँ वजेश्वरी देवी के दर्शनों के लिए भक्त पूरे भारत से आते है। नव राात्रि के त्यौहार के दौरान बड़ी संख्या में लोग दर्शनों के लिए मंदिर में आते है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सती ने उनके पिता दक्षेस्वर द्वारा किये यज्ञ कुण्ड में अपने प्राण त्याग दिये थे, तब भगवान शंकर देवी सती के मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्माण चक्कर लगा रहे थे इसी दौरान भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया था, जिसमें से सती की बायं वृ़क्ष स्थल इस स्थान पर गिरा था।

ऐसा माना जाता है कि वजेश्वरी मंदिर 10वीं शाताब्दी तक बहुत ही समृद्ध था। इस मंदिर को विदेशी आक्रमणकारियों ने कई बार लुटा था सन 1009 में मौम्मद गजनी ने इस मंदिर को पूरी तरह तबाह कर दिया था, इस मंदिर के चाँदी से बने दरवाजें तक उखाड कर ले गया था।  ऐसा भी माना जाता है कि मौम्मद गजनी ने इस मंदिर को पांच बार लुटा था। उसके बाद 1337 में मौम्मद बीन तुकलक और पांचवी शाताब्दी में सिंकदर लोदी ने लुटा तथा नष्ट कर किया, यह मंदिर कई बार लुटा व टूटाता रहा और बार बार इसका पुनः निर्माण होता रहा। ऐसा भी कहा जाता है कि सम्राट अकबर यहां आयें और इस मंदिर के पुनः निर्माण में सहयोग भी दिया था। 1905 में आये बहुत बडे़ भुकम ने इस मंदिर को पूरी तरह नष्ट कर दिया था। वर्तमान मंदिर का पुनः निर्माण 1920 में किया गया था।




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