हिन्दू धर्म में नक्षत्र बहुत महत्वूपर्ण होते है। हिन्दू धर्म में सभी शुभ कार्य नक्षत्र की स्थिति ज्ञात करने के बाद ही किया जाते हैं। आकाश में तारों के समूह को नक्षत्र कहते हैं। हिन्दू ज्योतिष में नक्षत्रों पर आधरित होती हैं। हिन्दू धर्म में 27 नक्षत्र होते है। शास्त्रीय हिन्दू शास्त्रों में नक्षत्रों के निर्माण का श्रेय ब्रह्मा पुत्र दक्ष को जाता है। ये सभी नक्षत्र दक्ष की पुत्रियाँ थी। सभी नक्षत्रों को चन्द्रमा की पत्नियों के रूप में जाना जाता है। चन्द्रमा ने राजा दक्ष के अनुरोध पर दक्ष पुत्रियों से विवाह किया था।
किसी भी व्यक्ति के जन्म नक्षत्र भारतीय वैदिक ज्योतिष का एक महत्वूपर्ण तत्व है। 28 नक्षत्र होते है परन्तु गणना के लिए केवल 27 नक्षत्र को ही माना जाता है। एक नक्षत्र जिसका नाम अभिजीत को छोड़ दिया जाता है। नक्षत्रों की गणना चन्द्रमा के पथ से जुड़े होते है।
चंद्रमा 27-28 दिनों में पृथ्वी के चारों ओर घूमता है। चन्द्रमा इन्हीं तारों के बीच से होकर जाता है। इसी पथ में पड़नेवाले तारों के अलग अलग दल बाँधकर एक एक तारकपुंज का नाम नक्षत्र रखा गया है। इस रीति से सारा पथ इन 27 नक्षत्रों में विभक्त होकर ’नक्षत्र चक्र’ कहलाता है।
| नक्षत्र | तारासंख्या | आकृति और पहचान |
|---|---|---|
| अश्विनी | 3 | घोड़ा |
| भरणी | 3 | त्रिकोण |
| कृत्तिका | 6 | अग्निशिखा |
| रोहिणी | 5 | गाड़ी |
| मृगशिरा | 3 | हरिणमस्तक वा विडालपद |
| आर्द्रा | 1 | उज्वल |
| पुनर्वसु | 5 या 6 | धनुष या धर |
| पुष्य | 1 वा 3 | माणिक्य वर्ण |
| अश्लेषा | 5 | कुत्ते की पूँछ वा कुलावचक्र |
| मघा | 5 | हल |
| पूर्वाफाल्गुनी | 2 | खट्वाकार X उत्तर दक्षिण |
| उत्तराफाल्गुनी | 2 | शय्याकारX उत्तर दक्षिण |
| हस्त | 5 | हाथ का पंजा |
| चित्रा | 1 | मुक्तावत् उज्वल |
| स्वाती | 1 | कुंकुं वर्ण |
| विशाखा | 5 व 6 | तोरण या माला |
| अनुराधा | 7 | सूप या जलधारा |
| ज्येष्ठा | 3 | सर्प या कुंडल |
| मुल | 9 या 11 | शंख या सिंह की पूँछ |
| पुर्वाषाढा | 4 | सूप या हाथी का दाँत |
| उत्तरषाढा | 4 | सूप |
| श्रवण | 3 | बाण या त्रिशूल |
| धनिष्ठा प्रवेश | 5 | मर्दल बाजा |
| शतभिषा | 100 | मंडलाकार |
| पूर्वभाद्रपद | 2 | भारवत् या घंटाकार |
| उत्तरभाद्रपद | 2 | दो मस्तक |
| रेवती | 32 | मछली या मृदंग |