

हर साल जब नवरात्रि का त्यौहार आता है, तो मन में एक अलग ही उत्साह और श्रद्धा जग उठती है। घरों में झिलमिल करती रोशनी, हवा में घुली अगरबत्ती की सुगंध, और गरबा के ढोल की थाप - ये सब मिलकर एक ऐसा माहौल बना देते हैं जो सीधे दिल को छू जाता है। पर क्या हमने कभी सोचा है कि ये नौ दिन इतने खास क्यों हैं? क्यों हम देवी के इन नौ रूपों की आराधना करते हैं, और क्या है पवन पर्व के पीछे की कहानी?
नवरात्रि सिर्फ एक त्यौहार नहीं, ये एक यात्रा है। एक ऐसी यात्रा जो हमें मां दुर्गा की अपरंपरा शक्ति और उनके अनंत प्रेम से जोड़ती है। हर दिन, हम एक नयी देवी का स्वागत करते हैं, उनके अलग रूप, अलग महत्व और अलग कहानी के साथ। ये नौ दिन हमें याद दिलाते हैं कि बुराई पर सफलता की जीत हमेशा होती है, और सच्ची भक्ति कभी व्यथित नहीं होती।
नवरात्रि की सबसे प्राचीन और प्रमुख कहानी महिषासुर नाम के राक्षस से जुड़ी है। कहते हैं महिषासुर को ब्रह्मा जी से ये वरदान मिला था कि उसे कोई देवता या पुरुष मार नहीं सकता। क्या वरदान के घमंड में वह इतना अंधा हो गया कि उसने स्वर्ग लोक पर अक्रमण कर दिया और देवताओ को हराकार इंद्रासन पर कब्ज़ा कर लिया।
जब तीनो लोक उसके अत्याचार से परेशान हो गए, तब सभी देवताओं ने मिलकर अपनी शक्तियों को एक किया। और इसे उत्पन्न हुई महाशक्ति - माँ दुर्गा।
हमें महाशक्ति में भगवान शिव का तेज, विष्णु की शक्ति और ब्रह्मा का ज्ञान समाहित था।
माँ दुर्गा ने महिषासुर से नौ दिनों तक घोर युद्ध किया, और दसवें दिन उस राक्षस का अंत कर दिया। ये नौ दिन ही नवरात्रि के रूप में मनाए जाते हैं, और दसवा दिन विजयदशमी, जैसे दशहरे के रूप में हम बुरी पर अच्छी की जीत के रूप में मनाते हैं।
नवरात्रि की एक और प्रचलित कहानी रामायण से जुड़ी है। जब भगवान राम लंकापति रावण से युद्ध करने जा रहे थे, तब उन्हें माँ दुर्गा की आराधना की थी। कहते हैं कि भगवान राम ने सात दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की थी, और दसवें दिन मां दुर्गा ने उन्हें विजय का आशीर्वाद दिया। इसी आशीर्वाद के बल पर भगवान राम ने रावण का वध किया और अधर्म का अंत किया।
इसलीये नवरात्रि में नौ दिनो को शक्ति और विजय की प्राप्ति के लिए बहुत शुभ मन जाता है।
कहानियों के अलावा, नवरात्रि का एक गहरी भावना का पहलू भी है। ये हमें याद दिलाता है कि हमारे अंदर भी एक अदभुत शक्ति छिपी है - एक ऐसी शक्ति जो हमें मुश्किलों से लड़ें, निष्कामता को हराएं, और अपने जीवन में सफलता को अपनी प्रेरणा देती हैं।
जब हम मां के नौ रूपों की आराधना करते हैं, तो हम वास्तव में अपने अंदर की शक्ति, साहस, ज्ञान और करुणा को जगाते हैं। हम अपने अंदर के महिषासुर (हमारे अहंकार, लोभ, क्रोध) को हरने का संकल्प लेते हैं और एक बेहतर इंसान बनने की दिशा में कदम बढ़ाते हैं।
तो अगली बार जब आप नवरात्रि के जश्न में शामिल हों, या देवी की आरती करें, तो इन कहानियों और भावनाओं को याद रखिएगा। ये सिर्फ परंपराएं नहीं, ये हमारे पूर्वजों की वसीयत हैं, जो हमें जीवन के हर मोड़ पर शक्ति और सच्चाई का पथ पढ़ाती हैं।
आप सभी को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ! देवी मां आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाएं।