आस माता की पूजा 2025

महत्वपूर्ण जानकारी

  • आस माता की पूजा 2025
  • आरंभ तिथि: शुक्रवार, 28 फरवरी 2025
  • अंतिम तिथि: शुक्रवार, 07 मार्च 2025

आस माता की पूजा का व्रत फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से अष्टमी तक कभी भी किया जा सकता है। इस दिन आस माता की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत करने से सभी इच्छायें पूरी होती है। यह व्रत का महिलायें द्वारा किया जाता है।

आसमाता की पूजा विधान

व्रत के दिन एक लकड़ी की पटरी पर जल का भरा लोटा रखें। लोटे पर एक स्वास्तिक चिन्ह बनायें और चावल चढ़ावें। गेहूँ के सात दानें हाथ में लेकर कहानी सुनें। हलवा, पूड़ी तथा रुपये रखकर बायना निकालकर सासुजी को चरण स्पर्श करके देना चाहिए।

आसमाता की कथा

एक आसलिया बावलिया नाम का आदमी था। उसे जुआ खेलने का शौक था।  इसके साथ-साथ वह ब्राह्मणों को भोजन कराता था। उसकी इस आदत से उसकी भाभियों ने उसे घर से निकाल दिया।

वह घूमता हुआ एक शहर में पहुँच गया। वह आसमाता का नाम लेकर एक जगह बैठ गया। उसने आस पास के आदमियों के द्वारा शहर में प्रचारित करवा दिया कि एक उच्च कोटि का जुआ खेलने वाला आया है।

यह बात राजा तक भी पहुँच गई। राजा ने उसे जुआ खेलने के लिए बुलाया। जुए में राजा अपना राजपाट सब कुछ हार गया। आसलिया बावलिया राजा को जुए में हराकर स्वयं राजा बन गया।

इधर आसलिया बावलिया के घर पर भोजन का अकाल पड़ गया। जब घर वालों को यह पता चला कि उनका भाई राजा को हराकर स्वयं राजा बन गया है तो उसके भाई-भावज और माँ उसको देखने शहर गए।

अपने बेटे को राजा बना देखकर माँ की आँखों में आँसू आ गए। राजा ने अपनी माता के चरण स्पर्श किए। तब उसकी माँ ने उससे कहा कि ‘‘मैं आस माता का उजमन करूँगी।’’

तब सब लोगों ने घर जाकर आसमाता का उजमन किया। उसके बाद आसलिया बावलिया सुख से राज्य करने लगा।

हे आस माता! जैसे तुमने आसलिया बावलिया को राजपाट दिया, वैसे ही सबकी मनोकामना पूरी करना।









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