प्रेम न बाडी उपजे

प्रेम न बाडी उपजे प्रेम न हाट बिकाई ।
राजा परजा जेहि रुचे सीस देहि ले जाई ॥

अर्थ: प्रेम खेत में नहीं उपजता प्रेम बाज़ार में नहीं बिकता चाहे कोई राजा हो या साधारण प्रजा – यदि प्यार पाना चाहते हैं तो वह आत्म बलिदान से ही मिलेगा. त्याग और बलिदान के बिना प्रेम को नहीं पाया जा सकता. प्रेम गहन- सघन भावना है – खरीदी बेचे जाने वाली वस्तु नहीं !









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