नेपाली मंदिर - वाराणसी, भारत में पशुपतिनाथ मंदिर की प्रतिकृति।

महत्वपूर्ण जानकारी

  • पता : ललिता घाट के पास, लाहौरी टोला, वाराणसी, उत्तर प्रदेश 221001
  • खुलने और बंद होने का समय: सुबह 04:00 बजे से रात 09:00 बजे तक
  • निकटतम रेलवे स्टेशन: वाराणसी जंक्शन: 6 किमी, मुगलसराय जंक्शन: 17 किमी, मडुआडीह रेलवे स्टेशन: 4 किमी, वाराणसी शहर: 2 किमी
  • निकटतम हवाई अड्डा: लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, जो वाराणसी के उत्तर पश्चिम से लगभग 26 किमी दूर है।
  • निकटतम बस स्टैंड: काशी विश्वनाथ मंदिर से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर वाराणसी बस स्टैंड।

नेपाली मंदिर का हिन्दू धर्म में विशेष व धार्मिक महत्व है। नेपाली मंदिर, देवों के देव महादेव को समर्पित मंदिर है। नेपाली मंदिर भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित है। यह मंदिर काशी विश्वनाथ काॅरिडोर के प्रवेश द्वार के पास ललिता घाट पर स्थित है। नेपाली मंदिर को श्री सम्राजेश्वर पशुपतिनाथ महादेव मंदिर, कांठवाला मंदिर और मिनी पशुपतिनाथ के नाम से भी जाना जाता है। नेपाली मंदिर का नाम वाराणसी के सबसे पुराने वा सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में आता है।

पशुपतिनाथ मंदिर की प्रतिकृति

नेपाली मंदिर को नेपाल के काठमांडू में स्थित पशुपतिनाथ के प्रतिकृति माना जाता है। इस मंदिर का निर्माण 19वीं शताब्दी में नेपाल के राजा द्वारा किया गया था। मंदिर का निर्माण टेराकोटा पत्थर और लकड़ी से किया गया है। मंदिर के गर्भगृह में पशुपतिनाथ के रूप में शिवलिंग स्थापित हैं। माना जाता है कि काशी के इस पशुपतिनाथ के दर्शन से वही फल प्राप्त होता है जो नेपाल के पशुपतिनाथ के दर्शन से होता है।

नेपाली मंदिर का निर्माण

नेपाली मंदिर का निर्माण नेपाल के राजा राणा बहादुर शाह ने करवाया था। राणा बहादुर शाह नेपाल से वाराणसी में निर्वासन लिया। वर्ष 1800 से 1804 के दौरान राणा बहादुर शाह ने वाराणसी में निवास किया था। अपने निर्वासन के दौरान वाराणसी में पशुपतिनाथ मंदिर की प्रतिकृति बनाने का फैसला किया। मंदिर के निर्माण का कार्य किया जा रहा था, इस दौरान राजा राणा बहादुर वापस नेपाल चले गए। 25 अप्रैल 1806 को, राणा बहादुर शाह को उनके सौतेले भाई शेर बहादुर शाह ने चाकू मारकर हत्या कर दी थी। उनके पुत्र गिरवन युद्ध बिक्रम शाह देवा ने समय सीमा के 20 साल बाद इस परियोजना को पूरा किया। भूमि को बाद में वर्ष 1843 में काशी नरेश द्वारा राणा बहादुर शाह को हस्तांतरित कर दिया गया था। मंदिर, निकटवर्ती क्षेत्र, ललिता घाट और एक धर्मशाला, नेपाल सरकार के अंतर्गत आता है।
मंदिर टेराकोटा, पत्थर और लकड़ी से बना है और इसे बनाने में तीन दशक लगे हैं। मंदिर में प्रयोग की गई लकड़ी दीमक रोधी है। मंदिर की वास्तुकला नेपाली शैली में निर्मित है। मंदिर में पगोडा शैली की वास्तुकला है, जो मुख्य रूप से लकड़ी से उकेरी गई है। इसमें खजुराहो समूह के स्मारकों में प्रदर्शित मूर्तियों के समान मूर्तियां हैं और इसलिए इसे ‘मिनी खजुराहो’ भी कहा जाता है।

 




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