
प्रदोष व्रत हिन्दुओं के लिए एक महत्वपूर्ण व्रत हैं। यह व्रत प्रत्येक मास दो बार पड़ता है। इस व्रत को करने से भगवान शिव को प्रसन्न किया जाता है। प्रदोष व्रत एक पवित्र उपवास का दिन माना जाता हैं। प्रदोष व्रत, हिंदू कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक चंद्र पखवाड़े में ‘त्रयोदशी’ को पड़ता है। यदि प्रदोष व्रत मंगलवार को पड़ता है तो इस व्रत को ‘भौम प्रदोष व्रत’ कहा जाता है। ‘भौमा’ शब्द मंगल ग्रह का दूसरा नाम है।
भौम प्रदोष व्रत अनुष्ठान करने के लिए गोधूलि की अवधि को सबसे उपयुक्त माना जाता है। हिंदू पुराणों में कहा गया है कि इस दौरान दिव्य युगल भगवान शिव और देवी पार्वती सबसे अनुकूल और अनुकूल मूड में होते हैं। भक्त भगवान शिव की पूजा करते हैं और फलदायी परिणामों के लिए इस दिन उपवास रखते हैं।
यदि प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन पड़ता है तो उसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। ‘भौमा’ शब्द मंगल ग्रह का दूसरा नाम है।
भौम प्रदोष व्रत के महत्व के बारे में ‘शिव पुराण’ और अन्य हिन्दू शास्त्रों में भी बताया गया है। भौम प्रदोष व्रत भगवान शिव के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।
इस दिन का विशेष महत्व है इस दिन मंगल ने तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया और मंगल लोक प्राप्त किया था। इसलिए यह माना जाता है कि जो व्यक्ति भौम प्रदोष व्रत का पालन करता है और भगवान शिव की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भौम प्रदोष व्रत की शक्ति ऐसी है कि यह जीवन में सभी बाधाओं और नकारात्मक शक्तियों को दूर करती है और आसपास के वातावरण को भी शुद्ध करता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष हो उसे यह पूजा और व्रत करना चाहिए। भौम प्रदोष व्रत का पालन करने वाला भगवान शिव का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करता है। भौम प्रदोष व्रत करने से निसंतान दम्पत्ति को संतान प्राप्ति होती है और अंततः मोक्ष की प्राप्ति होती है।
भाद्रपद, कृष्ण त्रयोदशी, भौम प्रदोष व्रत
मंगलवार, 12 सितंबर 2023
12 सितंबर रात 11:52 बजे - 13 सितंबर सुबह 02:21 बजे