गोदावरी नदी भारत की सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण नदियों में से एक है। इसे भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी माना जाता है और यह देश की तीसरी सबसे बड़ी नदी भी है। गोदावरी का उद्गम महाराष्ट्र के नासिक जिले के त्र्यंबक नामक स्थान से होता है और यह अपने लंबे सफर में आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, कर्नाटक और पुडुचेरी जैसे राज्यों से होकर बहती है। अंततः यह बंगाल की खाड़ी में गिरती है। इस नदी का कुल क्षेत्रफल लगभग 3,12,812 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और इसकी कुल लंबाई 1456 किलोमीटर मापी गई है।
गोदावरी नदी के उद्गम के पास एक पौराणिक महत्व है, जहाँ कहा जाता है कि भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान निवास किया था। इस कारण से, गोदावरी को धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह नदी भारत की सबसे बड़ी पूर्व की ओर बहने वाली प्रायद्वीपीय नदी है।
गोदावरी की लंबाई लगभग 1456 किलोमीटर है और यह पश्चिमी घाट से निकलकर पूर्वी घाट तक बहते हुए बंगाल की खाड़ी में समाहित हो जाती है। इस नदी की चौड़ाई 995 किलोमीटर और यह भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 9.5% भाग घेरती है। जब गोदावरी नदी बंगाल की खाड़ी में मिलती है, तब इसका मुहाना राजमुंदरी के पास डेल्टा का निर्माण करता है, जो अत्यंत उपजाऊ है।
गोदावरी नदी के जलग्रहण क्षेत्र को तीन भागों में विभाजित किया गया है:
गोदावरी नदी के साथ कई सहायक नदियाँ जुड़ी हुई हैं, जो इसे जल प्रदान करती हैं और इसकी धारा को और भी अधिक सशक्त बनाती हैं। गोदावरी की सहायक नदियाँ दो प्रकार की होती हैं:
गोदावरी नदी की कुल 12 सहायक नदियाँ हैं। इन सहायक नदियों द्वारा निर्मित डेल्टा का आकार लोबेट प्रकार का होता है, जिसमें कई सहायक नदियाँ गोल उभार के साथ मिलती हैं। बाएं किनारे की सहायक नदियाँ दाएं किनारे की सहायक नदियों की तुलना में अधिक बड़ी हैं।
गोदावरी बेसिन में सालाना लगभग 85% वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसून से होती है। मानसून जुलाई से शुरू होकर सितंबर तक रहता है और इस दौरान क्षेत्र में 1000-3000 मिमी तक की वर्षा होती है। गोदावरी नदी के बेसिन में औसत वार्षिक वर्षा 1096.92 मिमी होती है।
गोदावरी नदी का सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है। इसे गंगा नदी की बहन के रूप में भी जाना जाता है और इसे दक्षिण गंगा के नाम से भी जाना जाता है। नासिक, जहाँ गोदावरी नदी का उद्गम होता है, रामायण के साथ भी गहरा संबंध रखता है। यह माना जाता है कि भगवान राम ने अपने वनवास के 14 वर्षों का एक महत्वपूर्ण समय यहीं पर बिताया था। इस कारण से, गोदावरी नदी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है।