भगवान श्रीकृष्ण ने अपने माता-पिता के लिए बनाये थे - ब्रज में चार धाम

भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी माता यशोधा और पिता नंद बाबा के लिए ब्रज की धरती पर ही चार धाम का निर्माण किया था। वैसे ये चार धार - यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ भारत के राज्य उत्तराखंड में स्थित है। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने माता-पिता को चार धाम की यात्रा पर जाते देख और चार धाम यात्रा कठनाईयों को देखते हुए ब्रज की धरती पर ही चार धाम का आह्वान करके बुलाया था। इसके बाद एक-एक करके सारे तीर्थ ब्रज में आ गए। ये भी माना जाता है कि इन चार धाम के दर्शन से ही लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

नंद बाबा और यशोदा को आई चार धाम यात्रा की याद

नंद बाबा और यशोदा वृद्वावस्था में भी कोई संतान ने होने पर यह संकल्प लिया था कि अगर उनको संतान की प्राप्ती होगी तो चार धाम की यात्रा करेगें।

श्रीकृष्ण की गौचरण लीला के बाद नंद बाबा और यशोदा को चारधाम की यात्रा का संकल्प याद आया। इसके बाद उन्होंने तीर्थ यात्रा पर जाने की तैयारी शुरू कर दी। श्रीकृष्ण जब गायों को चराकर घर लौटे तो देखा कि घर में तैयारियां हो रही हैं। बैलगाड़ी को सजाया जा रहा है। इस पर श्रीकृष्ण ने यशोदा से पूछा कि मैया, ये क्या हो रहा है। इस पर यशोदा ने कहा भगवान श्रीकृष्ण से अपने संकल्प के बारे में बताया और इसलिए नंद बाबा और यशोदा तीर्थ करने जा रहे हैं।

श्रीकृष्ण ने चारों धामों को ब्रज में बुला लिया

इस पर श्रीकृष्ण ने कहा, मैया, बुढ़ापे में तीर्थ जा रहे हो। मैं सब तीर्थ ब्रज में बुला देता हूं। इसके बाद श्री श्रीकृष्ण ने अपनी माया से चारों धामों का आह्वान कर उन्हें ब्रज में बुला लिया और एक-एक करके सारे तीर्थ ब्रज में आकर उपस्थित हो गए। सभी तीर्थ विद्यमान हैं जिनमें चारों धाम केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री भी ब्रज 84 कोस में ही मौजूद हैं।

बद्रीनाथ धाम

ब्रज की 84 कोस की परिक्रमा में आदिबद्रीनाथ के नाम से एक मंदिर है जो कि काम्यवन के अन्तर्गत आता है। भगवान श्रीकृष्ण के अनुरोध पर नंद बाबा और यशोदा मैया के साथ ब्रजवासियों को दर्शन देने भगवान बद्रीनारायण प्रकट हुए थे और इनका नाम बूढ़ा बद्री पड़ गया। डीग से कामां के रास्ते पर चलने पर बूढ़ा बद्री मंदिर के समीप ही अलकनंदा कुंड बना हुआ है जहां श्रद्धालु स्नान करते हैं।

वहीं गोवर्धन से करीब 36 किलोमीटर की दूरी पर डीग क्षेत्र के पास आदिबद्री धाम है। भगवान बद्रीनाथ ने देवसरोवर का भी स्वयं निर्माण किया। नर-नारायण पर्वत भी यहीं आमने-सामने मौजूद है।

यमुनोत्री और गंगोत्री

आदिबद्री धाम से कुछ दुरी पर, एक पहाड़ी पर यमुनोत्री और गंगोत्री धाम है। ये दोनों मंदिरों एक साथ देखा जा सकता है।

केदानाथ धाम

कामां से करीब 10 किलोमीटर दूरी पर गांव विलोंद के समीप एक पर्वत पर भगवान केदारनाथ शेषनाग रूपी विशाल शिला के नीचे एक छोटी से गुफा में विराजमान हैं। जिस पर्वत पर केदारनाथ मंदिर है उसकी तलहटी में ही गौरीकुंड स्थित है। मंदिर करीब 500 फ़ीट की ऊंचाई पर है और करीब 450 सीढि़यां चढ़कर मंदिर तक पहुंचा जाता हैं। इस पहाड़ी पर नंदी, गणेश और शेषनाग की छवि दिखाई पड़ती है।





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