वसुदेवसुतं देवं - कृष्ण मंत्र:

वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्।
देवकीपरमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥

अर्थ - कंस और चाणूर का वध करनेवाले, देवकी के आनन्दवर्द्धन, वसुदेवनन्दन जगद्गुरु श्रीक़ृष्ण चन्द्र की मैं वन्दना करता हूँ ।

शब्दार्थ

वसुदेवसुतम् – वसुदेवस्य पुत्रम्। वसुदेव के पुत्र को
देवम् – देव को। जो दिव्य गुणों से युक्त होता है उसे देव कहते हैं।
कंसचाणूरमर्दनम् – कंसचाणूरयोः हन्तारम्। कंस और चाणूर को मारनेवाले को
देवकीपरमानन्दम् – देवकी के परम आनन्द को
कृष्णम् – कृष्णको
वन्दे – नमामि। मैं वन्दन करता हूँ
जगद्गुरुम् – विश्वस्य गुरुम्। जगत् के गुरु को



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