हिन्दू देवों की पूजन विधि

घर में दो शिवलिंग, तीन गणेश, दो शंख, दो सूर्य, दो दुर्गा मूर्तियों, दो गोमती चक्र और दो शालिग्राम की पूजा करने से अशांति की प्राप्ति होती है।
शालिग्राम जी की प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती। दुर्गा की एक, सूर्य की सात, गणेश की तीन, विष्णु की चार और शिव की आधी ही परिक्रमा करनी चाहिए।

तुलसी के बिना ईश्वर की पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती। तुलसी की मंजरी सब फूलों से बढ़कर मानी जाती है।

मंगल, शुक्र, रवि, अमावस्या, पूर्णिमा, द्वादशी और रात्रि और काल में संध्या तुलसी दल नहीं तोड़ना चाहिए। तुलसी तोड़ते समय यह ध्यान रखना आवश्यक है कि उसमें पत्तियों का रहना भी आवश्यक है।

फूल चढ़ाते समय ध्यान रखें कि उसका मुख ऊपर की ओर हो।

सदैव दायें हाथ की अनामिका एवं अंगूठे की सहायता से फूल अर्पित करने चाहिए।

चढ़े हुए फूल को अंगूठे और तर्जनी की सहायता से उतारना चाहिए।

फूल की कलियों को चढ़ाना मना है, किंतु यह नियम कमल के फूल पर लागू नहीं है।

शिव जी को विल्व पत्र, विष्णु को तुलसी, गणेश जी को हरी दूर्वा, दुर्गा को अनेक प्रकार के पुष्प और सूर्य को लाल कनेर के पुष्प प्रिय हंै।

शिवजी को सदाबहार पुष्प, विष्णु को धतूरा और देवी को आक या मदार पुष्प नहीं चढ़ाए जाते।

विष्णु को चावल, गणेश जी को तुलसी, देवी को दूर्वा, सूर्य को विल्व पत्र नहीं चढ़ना चाहिए।

लाल से सफेद और सफेद से नीला कमल भगवान को अत्यधिक प्रिय है।

देवताओं को पूजन में अनामिका से गंध लगाना चाहिए।



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