कर्णप्रयाग

महत्वपूर्ण जानकारी

  • Location: Karnprayag , Uttarakhand 246444.
  • Best time to visit : Feburary to November.
  • Nearest Railway Station : Rishikesh Railway Station at a distance of nearly 170 kilometres from Karnprayag .
  • Nearest Airport : Jolly Grant Airport at a distance of nearly 190 kilometres from Karnprayag .
  • By Road: Rishikesh - Shiva Puri -Sirasu - Byasi - Bachedikhal - Pipal Koti - Devaprayag - Srinagar - Narkota - Karnprayag. (Rishikesh to Karnprayag distance approx 173 km) Travel time aprrox 5 to 6 hours.
  • Did you know: the name of Karnprayag, a central character of Mahabharata named 'Karna' has been named. Swami Vivekananda had meditated here with his Guru Bhai, Guru Thorand ji and Aksharamand for eighteen days.

कर्णप्रयाग हिन्दू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है जो भारत के उत्तराखंड राज्य में चमोली जिले, में एक शहर और नगरपालिका बोर्ड है। यह पहाड़ियों में पांच पवित्र संगमों में से एक है जिसे पंचप्रयाग कहा जाता है। हिंदुओं के लिए तीर्थयात्रा का एक महत्वपूर्ण स्थान है। जो अलकनंदा और पिंडार नदी के संगम पर स्थित है। यह स्थान ऋषिकेश-बद्रीनाथ राजमार्ग पर स्थित है।

ऐसा माना जाता है कि कर्णप्रयाग का नाम महाभारत के एक केन्द्रीय पात्र कर्ण के नाम रखा गया है। कर्णप्रयाग में कर्ण और उमा देवी का मंदिर है।

पौराणिक कथा के अनुसार जहां कर्ण का मंदिर स्थित है वह स्थान कभी जल के अन्दर था और कर्णशिला नामक चट्टान का ऊपरी हिस्सा ही पानी के ऊपर था। महाभारत के युद्ध के बाद भगवान कृष्ण ने कर्ण का दाह संस्कार अपनी हथेली पर किया था। उन्होंने संतुलन के लिये कर्णशिला चट्टान की ऊपर पर रखा था।
एक अन्य कथा के अनुसार कर्ण अपने पिता सूर्य की यहां आराधना किया करता था। यह भी कहा जाता है कि देवी गंगा और भगवान शिव व्यक्तिगत रूप से कर्ण के सम्मुख प्रकट हुए थे।

कर्ण का यह मंदिर संगम के बायें किनारे पर स्थित है। पुराने मंदिर का हाल ही में जीर्णोद्धार हुआ है तथा कर्ण एवं भगवान कृष्ण की प्रतिमाएं यहां स्थापित है।
कर्णप्रयाग में उमा देवी का मंदिर है जिसकी स्थापना 8वीं सदी में आदि शंकराचार्य द्वारा किया गया था। जबकि उमा देवी की मूर्ति इसके बहुत पहले ही स्थापित थी। ऐसा कहा जाता है कि एक डिमरी ब्राह्मण को देवी ने स्वप्न में आकर अलकनंदा एवं पिंडर नदियों के संगम पर उनकी प्रतिमा स्थापित करने का आदेश दिया।

यहां पूजित प्रतिमाओं में उमा देवी, पार्वती, गणेश, भगवान शिव तथा भगवान विष्णु शामिल हैं। वास्तव में, उमा देवी की मूर्ति का दर्शन ठीक से नहीं हो पाता क्योंकि इनकी प्रतिमा दाहिने कोने में स्थापित है जो गर्भगृह के प्रवेश द्वार के सामने नहीं पड़ता। वर्ष 1803 की बाढ़ में पुराना मंदिर ध्वस्त हो गया तथा गर्भगृह ही मौलिक है। इसके सामने का निर्माण वर्ष 1972 में किया गया था।

स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु भाई, गुरु तुर्यंद जी और अखरणंद जी के साथ अठारह दिनों तक यहां ध्यान किया था।








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