लैंडौर मेला 2025 - हिमालय की सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत उत्सव

महत्वपूर्ण जानकारी

  • लंढौर मेला 2025
  • शनिवार, 20 दिसंबर 2025
  • समय : सुबह 11:00 बजे से शाम 06:00 बजे तक (शनिवार और रविवार)
  • पता : चार दुकान, लंढौर, मसूरी - 248179, भारत

मसूरी के निकट बसा लैंडौर, हिमालय की गोद में एक ऐसा स्थान है जो अपनी औपनिवेशिक विरासत, शांत वादियों और समृद्ध सांस्कृतिक जीवन के लिए जाना जाता है। यहां हर साल आयोजित होने वाला लैंडौर मेला न केवल स्थानीय समुदाय का उत्सव है, बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक अनोखा अनुभव प्रदान करता है। यह मेला हिमालयी संस्कृति, कारीगरी और प्रकृति के सामंजस्य को दर्शाता है, जहां शहर की भागदौड़ से दूर होकर लोग परंपराओं की मिठास का आनंद लेते हैं। इस साल भी दिसंबर के ठंडे दिनों में आयोजित होता है, जो सर्दियों की शुरुआत को और भी रंगीन बना देता है।

लैंडौर मेला का इतिहास: एक सामुदायिक पहल की शुरुआत

लैंडौर मेला की जड़ें स्थानीय समुदाय की एकजुटता में निहित हैं। यह 2015 के आसपास शुरू हुआ था, जब स्थानीय निवासियों और व्यापारियों ने मिलकर इसकी नींव रखी। मसूरी ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन (MTWA) ने शुरुआत से ही इसका समर्थन किया, ताकि लैंडौर की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित किया जा सके। ब्रिटिश काल से प्रभावित यह क्षेत्र, जहां वेल्स के गांव ल्लैंडडोरोर से प्रेरित नाम लिया गया है, हमेशा से ही एक रिट्रीट स्पॉट रहा है। मेला न केवल परंपराओं को जीवित रखता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और महिला उद्यमियों को बढ़ावा देने का माध्यम भी बनता है। 

आयोजन और गतिविधियां: रंग-बिरंगे अनुभव

लैंडौर मेला आमतौर पर दिसंबर के तीसरे या चौथे सप्ताह में दो दिनों तक चलता है। 2025 की 11वीं संस्करण भी इसी परंपरा को जारी रखेगी, जहां स्थानीय उत्पादों, हस्तकला और लोक कलाओं का प्रदर्शन होगा। मुख्य आकर्षण इस प्रकार हैं:

  • लोक प्रदर्शन और संगीत: उत्तराखंड के पारंपरिक नृत्य जैसे भैलो और झोड़ा, जो उत्तरकाशी के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किए जाते हैं। लोक धुनों पर नाच-गाना पर्यटकों को अपनी ओर खींच लेता है।
  • हाट बाजार: प्राकृतिक, जैविक और हस्तनिर्मित उत्पादों का बाजार, जहां गढ़वाली व्यंजन, ऊनी वस्त्र, हस्तशिल्प और स्थानीय किसानों के उत्पाद बिकते हैं। घरेलू महिला उद्यमियों के स्टॉल विशेष आकर्षण का केंद्र होते हैं।
  • प्रकृति और पर्यावरण गतिविधियां: विंटरलाइन हेरिटेज वॉक, पक्षी दर्शन सत्र और पर्यावरण जागरूकता कार्यशालाएं। चक्कर लूप के साथ हेरिटेज वॉक लैंडौर कैंट की अनोखी वास्तुकला को उजागर करती है।
  • कार्यशालाएं और प्रदर्शनियां: कला, शिल्प और पारंपरिक व्यंजनों पर वर्कशॉप, जो सभी आयु वर्ग के लिए खुली होती हैं।

ये गतिविधियां न केवल मनोरंजन प्रदान करती हैं, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में भी योगदान देती हैं। आयोजक ग्रीन लाइफ के सीईओ शिवरंजनी सिंह के नेतृत्व में, कैंटोनमेंट बोर्ड लैंडौर, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट और अन्य संगठनों का सहयोग होता है।

महत्व: समुदाय और संस्कृति का सेतु

लैंडौर मेला केवल एक मेले से कहीं अधिक है; यह हिमालयी जीवनशैली का प्रतीक है। यह स्थानीय कारीगरों, किसानों और महिलाओं को मंच प्रदान करता है, जिससे उनकी आय बढ़ती है। पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं पर जोर देकर, यह सतत विकास का संदेश देता है। लेखक रस्किन बॉन्ड जैसे निवासियों की मौजूदगी इसे और साहित्यिक रंग देती है। पर्यटक यहां आकर न केवल संस्कृति का आनंद लेते हैं, बल्कि शांति और प्रेरणा भी पाते हैं।

कैसे पहुंचें और टिप्स

मसूरी से लैंडौर मात्र 5-6 किलोमीटर दूर है। जॉली ग्रांट एयरपोर्ट (देहरादून) से टैक्सी या बस से आसानी से पहुंचा जा सकता है। सर्दियों में गर्म कपड़े साथ रखें, और स्थानीय होटलों में बुकिंग पहले कर लें। मेला के दौरान पार्किंग और भीड़ का ध्यान रखें।

लैंडौर मेला हमें याद दिलाता है कि सच्ची खुशी परंपराओं और समुदाय में छिपी है। यदि आप हिमालय की गोद में एक यादगार यात्रा की तलाश में हैं, तो इस मेले को अपने कैलेंडर में चिह्नित करें। यह न केवल एक उत्सव है, बल्कि जीवन का एक सबक भी!



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