

हिन्दू पंचाग के अनुसार आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को भड़रिया नवमी या भड़ली नवमी कहा जाता है। इस दिन आषाढ़ मास गुप्त नवरात्री की नवमी भी होती है। हिन्दू धर्म में भड़ली नवमी का बहुत महत्व हैं। इस दिन कोई भी मांगलिक कार्य किया जाता सकता है। भड़ली नवमी को हिंदू धर्म में शुभ विवाह के लिए आखिरी दिन कहा जाता है। इस बाद भगवान विष्णु सो जाते है जिसके कारण नवविवाहित जोड़ो का भगवान विष्णु का आशीर्वाद नहीं मिलता है।
हिन्दू धर्म में भड़ली नवमी का बहुत महत्व है। धर्म शास्त्रों के अनुसार जिस लोगों के विवाह के लिए कोई शुभ मुहूर्त नहीं निकलता है उनका विवाह इस दिन किया सकता है। भड़ली नवमी के बाद चातुमास लग जाता है जिसके बाद अगले 4-5 महीनें तक कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाते है। ऐसा कहा जा सकता है कोई भी मांगलिक कार्य करने के लिए यह तीथि शुभ होता है।
धार्मिक मान्यता है कि देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार माह की निद्रा के बाद जागृत होते हैं। तभी मांगलिक कार्य किए जाते है।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को भड़ली नवमी कहा जाता है। इसी दिन आषाढ़ मास की नवमी गुप्त नवरात्रि भी होती है।
हां, भड़ली नवमी विवाह के लिए अच्छा दिन है। भड़ली नवमी को हिंदू धर्म में शुभ विवाह का आखिरी दिन कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा के बाद जागते हैं। तभी शुभ कार्य किये जाते हैं।
भड़ली नवमी शुक्रवार, 04 जुलाई 2025 को है।