

प्रकृति अद्भुत है और उसके रहस्य आज भी हमें चकित कर देते हैं। पक्षियों और जानवरों का जीवन कई बार ऐसा ज्ञान देता है, जो हमें स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने की प्रेरणा देता है। कौवे का व्यवहार भी ऐसा ही एक उदाहरण है।
जब कौवा बीमार या अस्वस्थ महसूस करता है, तो वह किसी डॉक्टर के पास नहीं जाता और न ही किसी दवा का सहारा लेता है। बल्कि वह प्रकृति की गोद में समाधान खोजता है। कहा जाता है कि बीमार होने पर कौवा चींटियों की तलाश करता है।
वह ज़मीन पर उतरकर चींटियों के झुंड के बीच बैठता है या अपने पंखों पर चींटियों को चलने देता है। यह दृश्य कई बार ग्रामीण इलाकों और बाग-बगीचों में देखा गया है।
दरअसल, चींटियों के शरीर से एक विशेष प्रकार का फॉर्मिक एसिड (Formic Acid) निकलता है। यह प्राकृतिक रसायन कई प्रकार के बैक्टीरिया और कीटाणुओं को मारने में सक्षम होता है।
जब चींटियाँ कौवे के शरीर या पंखों पर चलती हैं, तो उनका फॉर्मिक एसिड कौवे के शरीर की अशुद्धियों को नष्ट करता है और उसके संक्रमण को कम करता है। इससे कौवे को आराम और नई ऊर्जा मिलती है।