भगवद गीता और भारतीय साहित्य की अन्य गीता

भारतीय संस्कृति और दर्शन की अमूल्य धरोहर में भगवद गीता का विशेष स्थान है। महाभारत के भीष्म पर्व में स्थित यह दिव्य ग्रंथ केवल धर्मग्रंथ ही नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला का अनुपम मार्गदर्शक भी है। इसमें अर्जुन और भगवान श्रीकृष्ण के संवाद के माध्यम से कर्म, ज्ञान, भक्ति और धर्म का अद्वितीय संगम मिलता है।
भगवद गीता को “उपनिषदों का सार” और “भारतीय दर्शन का हृदय” कहा जाता है। यह न केवल धार्मिक, बल्कि दार्शनिक, नैतिक और व्यावहारिक जीवन का भी मार्गदर्शन करती है।

भारतीय साहित्य की परंपरा में भगवद गीता से प्रेरित होकर कई अन्य संतों और दार्शनिकों ने भी अपने विचारों को "गीता" के रूप में प्रस्तुत किया। इन ग्रंथों को सामूहिक रूप से अन्य गीता कहा जाता है। इनमें जीवन, धर्म, ज्ञान, भक्ति और मुक्ति से संबंधित विभिन्न दृष्टिकोण मिलते हैं।

भारतीय साहित्य की अन्य गीता (सूची)

  1. अनु गीता
  2. अष्टावक्र गीता
  3. अवधूत गीता
  4. भिक्षु गीता
  5. ब्राह्मण गीता
  6. बोध्या गीता
  7. ब्रह्मगीता
  8. देवी गीता
  9. गणेश गीता
  10. गोपिका गीता
  11. गुरुगीता
  12. हंसा गीता
  13. हनुमद गीता
  14. हरिता गीता
  15. ईश्वर गीता
  16. कपिला गीता
  17. मनकी गीता
  18. पांडव गीता
  19. पाराशर गीता
  20. पिंगला गीता
  21. राम गीता
  22. रमण गीता
  23. ऋभु गीता
  24. रूद्र गीता
  25. संपक गीता
  26. शिव गीता
  27. सृति गीता
  28. सूर्य गीता
  29. सुता गीता
  30. स्वामीनारायण गीता
  31. उत्तर गीता
  32. वल्लभ गीता
  33. वसिष्ठ गीता
  34. विभीषण गीता
  35. विकख्नु गीता
  36. विदुर गीता
  37. वृत्र गीता
  38. व्याध गीता
  39. व्यास गीता
  40. यम गीता

भगवद गीता भारतीय संस्कृति की आत्मा है, किंतु इसके अतिरिक्त रचित अन्य गीता भी अलग-अलग दृष्टिकोण से जीवन का ज्ञान प्रदान करती हैं। ये सभी मिलकर भारतीय साहित्य की समृद्ध आध्यात्मिक परंपरा को और भी गहन बनाती हैं।




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