भगवद गीता अध्याय 5, श्लोक 18

विद्याविनयसम्पन्ने ब्राह्मणे गवि हस्तिनि |
शुनि चैव श्वपाके च पण्डिता: समदर्शिन: || 18||

अर्थ: वास्तव में ज्ञानी, दिव्य ज्ञान की आँखों से, एक ब्राह्मण, एक गाय, एक हाथी, एक कुत्ते और एक कुत्ते को खाने वाले को समान दृष्टि से देखते हैं।

शब्द से शब्द का अर्थ:

विद्या– दिव्य ज्ञान;
विनय– नम्रता;
सम्पन्ने– युक्त;
ब्राह्मणे– ब्राह्मण;
गवि– गाय;
हस्तिनी– हाथी;
शुनि– कुत्ता;
चा– और;
एव– निश्चय ही;
श्व-पाके– कुत्ता खाने वाला;
चा– और;
पंडिताः– विद्वान्;
सम-दर्शिनः– समान दृष्टि से देखें |





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