लभन्ते ब्रह्मनिर्वाणमृषयः क्षीणकल्मषाः।
छिन्नद्वैधा यतात्मानः सर्वभूतहिते रताः ॥25॥
अर्थ: वे पवित्र मनुष्य जिनके पाप धुल जाते हैं और जिनके संशय मिट जाते हैं और जिनका मन संयमित होता है वे सभी प्राणियों के कल्याणार्थ समर्पित हो जाते हैं तथा वे भगवान को पा लेते हैं और सांसारिक बंधनों से भी मुक्त हो जाते हैं।
लभन्ते–प्राप्त करना;
ब्रह्मनिर्वाणम्-भौतिक जीवन से मुक्ति;
ऋषयः-पवित्र मनुष्य;
क्षीण-कल्मषा:-जिसके पाप धुल गए हों;
छिन्न-संहार;
द्वैधाः-संदेह से;
यत-आत्मानः-संयमित मन वाले;
सर्वभूत-समस्त जीवों के;
हिते-कल्याण के कार्य;
रताः-आनन्दित होना।