वृषभ संक्रांति 2025

महत्वपूर्ण जानकारी

  • वृषभ संक्रांति 2025
  • गुरुवार, 15 मई 2025

वृषभ संक्रांति भारतीय हिन्दू परंपरा में एक महत्वपूर्ण पर्व है जो हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वैशाख मास के अंत में संपन्न होता है। यह समय ग्रीष्म ऋतु के आगमन का संकेत देता है और बहुत सारे राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर मनाया जाता है।

संस्कृत में 'वृषभ' शब्द का अर्थ 'बैल' है। इसके अलावा हिंदू धर्म में, भगवान शिव के वाहक 'नंदी' को बैल माना जाता है और धार्मिक ग्रंथ इन दोनों के बीच कुछ संबंध दर्शाते हैं। इसलिए वृषभ संक्रांति का उत्सव हिंदू भक्तों के लिए अत्यधिक धार्मिक महत्व रखता है। सुखी और समृद्ध जीवन पाने के लिए लोग इस शुभ दिन पर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। वे भगवान से पुनर्जन्म के निरंतर चक्र से मुक्ति पाने और मोक्ष प्राप्त करने की प्रार्थना भी करते हैं।

वृषभ संक्रांति के दिन सूर्य देव वृषभ राशि में प्रवेश करते हैं, तो वह समय ‘वृषभ संक्रांति’ कहलाता है। इस दिन, लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और फिर दान देते हैं। स्नान के बाद भगवान सूर्य देव की पूजा की जाती है।

वृषभ संक्रांति का महत्व

वृषभ संक्रांति का महत्व भारतीय संस्कृति में अत्यधिक है। यह पर्व ग्रीष्म ऋतु के आगमन का प्रारंभिक संकेत माना जाता है और लोग इसे बड़े ही उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाते हैं। यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक अवसर होता है जिसमें लोग साथ मिलकर उत्सव का आनंद लेते हैं और एक-दूसरे को बधाई देते हैं।

वृषभ संक्रांति के मनाने का तरीका

वृषभ संक्रांति का मनाने का तरीका विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न होता है। कुछ स्थानों पर लोग सामाजिक कार्यक्रमों, परंपरागत नृत्य और गीतों के साथ मनाते हैं, तो कुछ जगहों पर धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। इसके अलावा, बाजारों में बाजार लगते हैं और लोग नई साड़ीयों, खिलौनों और अन्य चीजों की खरीदारी करते हैं।

वृषभ संक्रांति का महत्व भारतीय समाज के लिए अत्यधिक है और यह एक ऐसा अवसर है जिसमें लोग सम्पूर्ण प्रेम और समर्थन के साथ एक-दूसरे के साथ जुड़ते हैं। यह पर्व हमें हमारे समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का महत्व और गौरव याद दिलाता है।

सूर्य देव की पूजा कैसे करें

  • वृषभ संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठें और ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें।
  • फिर एक तांबे के लोटे में पानी डालें, उसमें लाल चंदन और लाल फूल भी डालें। अब सूर्य देव को याद करते हुए उस जल से अर्घ्य दें।
  • साथ ही सूर्य मंत्र का जाप करें और फिर सूर्य चालीसा और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
  • अंत में एक दीपक या कपूर से सूर्य देव की आरती करें।
  • इसी तरह से पूजा करके सूर्य देव से अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की प्रार्थना करें।
  • इसके बाद दान करें, जैसे कि गेहूं, लाल वस्त्र, लाल फूल, गुड़, घी, तांबे के बर्तन आदि। वृषभ संक्रांति के दिन इन चीजों का दान करना बहुत पुण्यदायी माना जाता है।


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