काली पंच बाण स्तोत्र

प्रथम बाण

ॐ नमः काली कंकाली महाकाली
मुख सुन्दर जिए ब्याली
चार वीर भैरों चौरासी
बीततो पुजू पान ऐ मिठाई
अब बोलो काली की दुहाई।

द्वितीय बाण

ॐ काली कंकाली महाकाली
मुख सुन्दर जिए ज्वाला वीर वीर
भैरू चौरासी बता तो पुजू
पान मिठाई।

तृतीय बाण

ॐ काली कंकाली महाकाली
सकल सुंदरी जीहा बहालो
चार वीर भैरव चौरासी
तदा तो पुजू पान मिठाई
अब बोलो काली की दुहाई।

चतुर्थ बाण

ॐ काली कंकाली महाकाली
सर्व सुंदरी जिए बहाली
चार वीर भैरू चौरासी
तण तो पुजू पान मिठाई
अब राज बोलो
काली की दुहाई।

पंचम बाण

ॐ नमः काली कंकाली महाकाली
मख सुन्दर जिए काली
चार वीर भैरू चौरासी
तब राज तो पुजू पान मिठाई
अब बोलो काली की दोहाई।

।। इति श्री काली-पंचम समाप्तं ।।

"काली पंच बाण स्तोत्र" देवी काली को समर्पित एक पवित्र प्रार्थना है, जो हिंदू धर्म में देवी माँ के उग्र रूपों में से एक है। देवी काली के आशीर्वाद और सुरक्षा का आह्वान करने के लिए भक्तों द्वारा इस स्तोत्र का पाठ किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसमें नकारात्मकता को दूर करने, बाधाओं को खत्म करने और जीवन की चुनौतियों का सामना करने की शक्ति और साहस प्रदान करने की शक्ति है।

नाम में "पंच" शब्द संख्या पांच को दर्शाता है, और "बाण" का अर्थ अमृत है। इस स्तोत्र में पाँच छंद शामिल हैं, जिन्हें अक्सर "अमृत" कहा जाता है, जिनमें से प्रत्येक देवी काली के विभिन्न पहलुओं, जैसे उनकी उग्रता, करुणा और दिव्य ऊर्जा की प्रशंसा और आह्वान करता है।

भक्त कठिनाई के समय में देवी की कृपा पाने और उनकी शक्तिशाली और परिवर्तनकारी ऊर्जा से जुड़ने के साधन के रूप में भक्ति और विश्वास के साथ काली पंच बाण स्तोत्र का पाठ करते हैं। यह उग्र लेकिन दयालु देवी माँ काली के प्रति भक्ति और समर्पण की एक सुंदर अभिव्यक्ति है।







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