स्कंदमाता की आरती

जय तेरी हो स्कंद माता ।
पांचवा नाम तुम्हारा आता॥

सब के मन की जानन हारी ।
जग जननी सब की महतारी॥

तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं ।
हरदम तुम्हे ध्याता रहूं मैं॥

कई नामो से तुझे पुकारा ।
मुझे एक है तेरा सहारा॥

कहीं पहाड़ों पर है डेरा ।
कई शहरों में तेरा बसेरा॥

हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गाये ।
तेरे भगत प्यारे भगति॥

अपनी मुझे दिला दो शक्ति ।
मेरी बिगड़ी बना दो॥

इन्दर आदी देवता मिल सारे ।
करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥

दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये ।
तुम ही खंडा हाथ उठाये॥

दासो को सदा बचाने आई ।
‘चमन’ की आस पुजाने आई॥









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