नारायण अनंत हरे नृसिंह - भगवान विष्णु मंत्र

नारायणानन्त हरे नृसिंह प्रह्लादबाधाहर हे कृपालो।
जिह्वे पिबस्वामृतमेतदेव गोविन्द दामोदर माधवेति।।

यह श्लोक एक भक्तिपूर्ण प्रार्थना का एक हिस्सा है और इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है:

नारायणानन्त हरे: हे नारायण, अनंत और सर्वोच्च भगवान,
नृसिंह: भगवान विष्णु का नर-सिंह अवतार,
प्रह्लादबधाहर : प्रह्लाद की परेशानियों को दूर करने वाले,
हे कृपालो: हे दयालु,
जिह्वे पिबस्वामृतमेतदेव: इस दिव्य अमृत को मेरी जीभ से चखने दो,
गोविंद दामोदर माधवेति: गोविंदा, दामोदर, माधव के नाम से जाना जाता है।

अर्थ - 'हे प्रह्लादकी बाधा हरनेवाले दयामय नृसिंह!नारायण!अनन्त!हरे!गोविन्द! दामोदर! माधव!'--इन नामामृतका हे जिह्वे!तू निरन्तर पान करती रह।। 

यह श्लोक भगवान नरसिम्हा के प्रति भक्ति और प्रार्थना की एक सुंदर अभिव्यक्ति है, जिसमें प्रह्लाद की परेशानियों को दूर करने वाले के रूप में उनकी भूमिका को स्वीकार किया गया है और गोविंदा, दामोदर और माधव सहित उनके नामों के दिव्य अमृत का स्वाद लेने की कोशिश की गई है। यह भगवान की दिव्य उपस्थिति और नामों की मिठास का अनुभव करने के लिए भक्त की गहरी इच्छा को दर्शाता है।

प्रेमानंद महाराज जी कहते है -

कि अगर प्रेत योनि का कोई भी जीव तुम्हारे सामने आता है और तुम भगवन नाम जाप कर रहे हो तो तुम्हें कभी हराना नहीं सकता और एक किशोरी किशोर जी के चरण शरण में हे इसलिए इस मंत्र 'नारायणानंद हरे नृसिंह प्रह्लाद बाधा हरहे कृपालु' का प्रयोग नहीं करते और ये मंत्र ऐसा है इस मंत्र के उच्चारण मात्र से कहीं भी कोई भयानक प्रेत हो कहीं भी कुछ हो सब नष्ट हो जाएगा। श्री किशोरी किशोर जी के शरणागत की गर्दन भी उतर जाए तो भी ना बोले ये हम इसलिए बोल रहे हैं जो प्रभु से नहीं जुड़े है, और अगर उनको ऐसा लगता है तो ये लाखों बार प्रयोग किया हुआ मंत्र है देख लेना।

संदेश: भक्ति की विजय

नरसिम्हा कवच स्तोत्र का यह श्लोक अत्याचार और अहंकार पर भक्ति और धार्मिकता की विजय का जश्न मनाता है। यह हमें याद दिलाता है कि जब ईश्वर में हमारा विश्वास अटल है, तो सबसे बड़ी बाधाओं को भी दूर किया जा सकता है। प्रह्लाद और भगवान नरसिम्हा की कहानी अटूट भक्ति की शक्ति और परमात्मा की असीम करुणा का एक कालातीत पाठ है।

अंत में, श्लोक "नारायणानंद हरे नृसिंह प्रह्लाद बाधा हरहे कृपालु" इस उल्लेखनीय कथा का सार प्रस्तुत करता है, जो भक्ति के परिवर्तनकारी प्रभाव और दैवीय परोपकार पर जोर देता है। यह एक अनुस्मारक है कि, विपरीत परिस्थितियों में, विश्वास पहाड़ों को हिला सकता है, और ईश्वरीय कृपा उन लोगों के लिए हमेशा सुलभ होती है जो इसे ईमानदारी से खोजते हैं।







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