नवरात्रि का छठा दिन - कात्यायनी देवी

महत्वपूर्ण जानकारी

कात्यायनी, दुर्गा के नौ रूपों में से छठवाँ स्वरूप है। नवरात्रि के त्योहार के छठे दिन कात्यायनी की पूजा व आर्चना की जाती है। सभी भक्त इस दिन कात्यायनी की पूजा और आराधना करते है। ‘कात्यायनी‘ माता पार्वती के कई नामों में से एक है। माता पार्वती के अन्य नाम है - उमा, कात्यायनी, गौरी, काली, हेमावती व ईश्वरी आदि। ज्यादातर कात्यायनी देवी को अत्याचारी राक्षस महिषासुर के वध के रूप में देखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि अच्छे पति के लिए देवी सीता, देवी राधा और देवी रुक्मिणी ने देवी कात्यायनी की पूजा की थी। उस दिन साधक का मन ’आज्ञा’ चक्र में स्थित होता है। योगसाधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है।

माता कात्यायनी स्वरूप

शक्तिवाद में माता कात्यायनी को एक योद्धा देवी, शक्ति या दुर्गा के नामों से प्रचलित है, जिसमें भद्रकाली और चंडिका भी शामिल हैं। माता कात्यायनी भी देवी दुर्गा की तरह परंपरागत रूप से वह लाल रंग से जुड़ी हुई है। माता कात्यायनी को चार, आठ और दस हाथों से चित्रित किया जाता है।

यजुर्वेद के तैत्तिरीय आरण्यक में उनका उल्लेख प्रथम किया है। स्कन्द पुराण में उल्लेख है कि माता कात्यायनी, परमेश्वर के नैसर्गिक क्रोध से उत्पन्न हुई थीं और देवी पार्वती द्वारा दी गई सिंह पर आरूढ़ होकर महिषासुर का वध किया। कात्यायनी देवी शक्ति की आदिरूप है, जिसका उल्लेख पाणिनि पर पतञ्जलि के महाभाष्य में किया गया है, जो दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में रचित है। उनका वर्णन देवीभागवत पुराण, और मार्कंडेय ऋषि द्वारा रचित मार्कंडेय पुराण के देवी महात्म्य में किया गया है जिसे 400 से 500 ईसा में लिपिबद्ध किया गया था। बौद्ध और जैन ग्रंथों और कई तांत्रिक ग्रंथों, विशेष रूप से कालिका पुराण में उनका उल्लेख है।

पूजा

माँ दुर्गा के छठे स्वरूप का नाम कात्यायनी है। उस दिन साधक का मन ’आज्ञा’ चक्र में स्थित होता है। योगसाधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है। नवरात्रि में छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है। परम्परागत रूप से देवी दुर्गा की तरह वे लाल रंग से जुड़ी हुई हैं। नवरात्रि उत्सव के षष्ठी को उनकी पूजा की जाती है।

पूजा का फल

देवी कात्यायनी की उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं।

कात्यायनी मंत्र

ॐ देवी कात्यायन्यै नम:

स्वर्णाआज्ञा चक्र स्थितां षष्टम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥

चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानव-घातिनी॥

कात्यायनी की प्रार्थना

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान और शक्ति -रूपिणी प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ।

विवाह के लिये कात्यायनी मन्त्र

इसके अतिरिक्त जिन कन्याओ के विवाह मे विलम्ब हो रहा हो, उन्हे इस दिन माँ कात्यायनी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, जिससे उन्हे मनोवान्छित वर की प्राप्ति होती है।

ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि ।
नंदगोपसुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नम:॥









2024 के आगामी त्यौहार और व्रत











दिव्य समाचार











Humble request: Write your valuable suggestions in the comment box below to make the website better and share this informative treasure with your friends. If there is any error / correction, you can also contact me through e-mail by clicking here. Thank you.

EN हिं