प्रभु श्री राम की वंशावली जानें और हमकों प्रभु राम के पूर्वजों और उनके बाद वंशजो की जानकारी होनी चाहिए

प्रभु श्री राम को मनुष्य जाति में एक आदर्श पुरुष के रूप में पुजा जाता है। भगवान राम का जन्म सूर्यवंश में हुआ था। भगवान राम, विष्णु के अवतार थे और त्रेता युग के तीसरे चरण में धरती पर जन्म लिया था। भगवान विष्णु ने राजा दशरथ के पुत्र के रूप में जन्म लिया था, जो श्री राम है। रावण का जन्म सतयुग के मध्य काल में हुआ था। आज पुरे विश्व में भगवान राम को पुजा जाता है। इसलिए हमकों प्रभु राम के पूर्वजों और उनके बाद वंशजो की जानकारी होनी चाहिए। भगवान राम के भाई और उनके पुत्रों के नाम तो सभी जानते है। श्री राम चार भाई थे - राम, भरत, लक्ष्मण, शुत्रघ्न। श्री राम के दो पुत्र थे - लव और कुश। भरत के भी दो पुत्र थे - ताक्र्ष और पुष्कर। लक्ष्मण के पुत्र - चित्रांगद और चन्द्रकेतु और शत्रुघ्न के पुत्र सुबाहु और शूरसेन थे।

श्री राम ने अपने भाई भरत को वानप्रस्थ का राज्याभिषेक करना चाह था परन्तु भरत नहीं माने। श्री राम ने कुश को दक्षिण कोसल, कुशस्थली (कुशावती) और अयोध्या राज्य सौंपा तो लव को पंजाब दिया। श्री राम पुत्र लव ने लाहौर को अपनी राजधानी बनाया। आज के तक्षशिला में तब भरत पुत्र तक्ष और पुष्करावती (पेशावर) में पुष्कर सिंहासनारुढ़ थे। हिमाचल में लक्ष्मण पुत्रों अंगद का अंगदपुर और चंद्रकेतु का चंद्रावती में शासन था। मथुरा में शत्रुघ्न के पुत्र सुबाहु का तथा दूसरे पुत्र शत्रुघाती का भेलसा (विदिशा) में शासन था।

राम के काल में भी कोशल राज्य उत्तर कोशल और दक्षिण कोशल में विभाजित था। कालिदास के रघुवंश अनुसार राम ने अपने पुत्र लव को शरावती का और कुश को कुशावती का राज्य दिया था। शरावती को श्रावस्ती मानें तो निश्चय ही लव का राज्य उत्तर भारत में था और कुश का राज्य दक्षिण कोसल में। कुश की राजधानी कुशावती आज के बिलासपुर जिले में थी। कोसला को राम की माता कौशल्या की जन्मभूमि माना जाता है। रघुवंश के अनुसार कुश को अयोध्या जाने के लिए विंध्याचल को पार करना पड़ता था इससे भी सिद्ध होता है कि उनका राज्य दक्षिण कोसल में ही था।

राजा लव से राघव राजपूतों का जन्म हुआ जिनमें बड़गुजर, जयास और सिकरवारों का वंश चला। इसकी दूसरी शाखा थी सिसोदिया राजपूत वंश की जिनमें बैछला (बैसला) और गैहलोत (गुहिल) वंश के राजा हुए। कुश से कुशवाह राजपूतों का वंश चला।

ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार लव ने लवपुरी नगर की स्थापना की थी, जो वर्तमान में पाकिस्तान स्थित शहर लाहौर है। यहां के एक किले में लव का एक मंदिर भी बना हुआ है। लवपुरी को बाद में लौहपुरी कहा जाने लगा। दक्षिण-पूर्व एशियाई देश लाओस, थाई नगर लोबपुरी, दोनों ही उनके नाम पर रखे गए स्थान हैं।

प्रभु श्री राम की वंशावली

ब्रह्माजी - मरीचि - कश्यप - विवस्वान - मनु - इक्ष्वाक - कुक्षि - विकुक्षि - बाण - अनरण्य - पृथु - त्रिशंकु - धंुधुमार - युवनाश्व - मान्धाता - सुसन्धि - भरत - असित - सगर - असमंज - अंशुमान - दिलीप - भगीरथ - ककुत्स्थ - रघु (रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया, तब से श्रीराम के कुल को रघुकुल भी कहा जाता है।) - प्रवद्ध - शंखण - सुदर्शन - अग्निवर्ण - शीध्रग - ययाति - नहुष - अम्बरीय - प्रशुश्रुक - मरु - नाभाग - अज - दशरथ- राम। इस प्रकार ब्रह्मा की 39वीं पीढ़ी में श्री राम का जन्म हुआ था।





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