बटुक भैरों नाथ मंदिर - दिल्ली

महत्वपूर्ण जानकारी

  • पता : नेहरू पार्क, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली, दिल्ली 110021,
  • खुला और बंद समय: रविवार - सुबह 6:30 बजे से रात 10:00 बजे तक।
  • सोमवार से शुक्रवार : सुबह 6:30 बजे से 12:30 बजे तक और दोपहर 3:30 से रात 10.00 बजे तक
  • शनिवार : सुबह 6:30 बजे से 12:30 बजे तक और दोपहर 3:30 बजे से 12.00 बजे तक
  • नजदीकी मेट्रो स्टेशन: बटुक भैरव नाथ मंदिर से लगभग 3.6 किलोमीटर की दूरी पर रेसकोर्स मेट्रो स्टेशन।
  • क्या आप जानते हैं: मंदिर 5500 साल पुराना होने का अनुमान है और यह माना जाता है कि मंदिर महाभारत काल के दौरान पांडवों द्वारा बनाया गया था।

बटुक भैरों नाथ मंदिर एक हिन्दू मंदिर है जोकि भगवान भैरों को समर्पित है। यह मंदिर नेहरू पार्क चाणक्य पुरी, दिल्ली में स्थित है। इस मंदिर का नाम दिल्ली के मुख्य मंदिरों में आता है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर लगभग 5500 साल पुराना है। मंदिर की बनावट बहुत पुरानी नहीं है क्योकि समय समय पर इस मंदिर का पुनिर्माण किया जाता रहा है, लेकिन यह माना जाता है कि यह मंदिर पांडव के युग का है इसलिए इसकी मान्यता हजारों वर्ष पुरानी है। इतने पुराने होने के नाते, यह दिल्ली शहर के प्राचीन विरासत की महत्वपूर्ण प्रतिबिम्ब के रूप में माना जाता है। मंदिर में साल भर भक्तों की बड़ी संख्या दर्शन के लिए आती है। विशेष रूप से, हर रविवार को मंदिर में भैरों बाबा के दर्शन के लिए बडी संख्या में भक्त आते है।

दिल्ली में भैरों नाथ के पांडवों द्वारा बनाये गये दो मंदिर है पहला बटुक भैरों नाथ मंदिर और दूसरा किलकारी बाबा भैंरो नाथ मंदिर जो कि पुराने किला के बाहर और प्रगति मैदान के सामने स्थिति है। दोनों मंदिर का इतिहास एक दूसरे से जुडा हुआ है।

बटुक भैरों नाथ मंदिर में भगवान भैरों बाबा का सिर्फ चेहरा ही है और चेहरे पर बड़ी-बड़ी दो आँखे है। बटुक भैरों नाथ मंदिर में मदिरा या दुध व गुड को प्रसाद रूप में भगवान को अर्पित किया जाता है तथा प्रसाद को स्थानीय भक्तों में वितरित कर दिया जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि जो भी तरल पदार्थ मदिरा, दुध या जल भैरों की मूर्ति के ऊपर चढाया जाता है वह सब जमीन में बने एक कुअं में चल जाता है जो कि मंदिर के नीचे है।

बटुक भैरव नाथ मंदिर की कथा

ऐसा माना जाता है कि पांडवों ने अपने किले की सुरक्षा हेतु कई बार यज्ञ का आयोजन किया था परन्तु राक्षस यज्ञ को बार बार भंग कर दिया करते थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने सुझाव दिया कि किले की सुरक्षा हेतु भगवान भैरों को जोकि राक्षसों के सरदार थे, किले में स्थिपित किया जाये। तब भीम ने भैरों बाबा को लाने के लिए काशी यानि बनारस गये और भीम ने बाबा की अराधना की और बाबा को इन्द्रप्रथ चलने का आग्रे किया तब बाबा ने भीम के समक्ष एक शर्त रखी और कहां कि वह जहां भी उन्हें पहले रख देगें वे वही विराजमान हो जाएंगे और वे वहां से आगे नहीं जायेगें। भीम ने यह शर्त मान ली और बाबा को अपने कंदे पर बिठा कर चल दियें। यहां आकर बाबा के माया कर दी और भीम को मजबूर होकर उन्हें अपने कंदे से नीचे ऊतराना पडा। तब भीम ने फिर से अराधना की और उनसे आगे चलना का आग्रे किया परन्तु बाबा आगे नहीं गये। भीम ने पुनः आग्रे किया और कहां की मैं अपने भाईयों को वचन दे कर आया हुँ कि आपको इन्द्रप्रथ लेकर आऊंगा इसलिए मेरी विनती है कि आप इन्द्रप्रस्थ चले। परन्तु बाबा आगे नहीं गये और भीम का मान रखने के लिए उन्हें भीम को किले की सुरक्षा हेतु अपनी जटा काट कर दे दी और कहां कि इन्हें किल में विस्थपित करे और मैं यहीं से किलकारी मार कर किले की सुरक्षा करूंगा और वहा स्थान आज किलकारी बाबा भैंरो नाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है।




Bhairav Nath Festival(s)










2024 के आगामी त्यौहार और व्रत











दिव्य समाचार











Humble request: Write your valuable suggestions in the comment box below to make the website better and share this informative treasure with your friends. If there is any error / correction, you can also contact me through e-mail by clicking here. Thank you.

EN हिं