

सुबह-सुबह नींद खुलते ही सबसे पहले अपनी हथेलियों को देखना और मन ही मन इस मंत्र का जाप करना—यह परंपरा केवल एक धार्मिक नियम नहीं, बल्कि हमारे पूर्वजों की गहरी सोच और भावना से जुड़ी हुई है। इस मंत्र का अर्थ, भाव और उसका प्रभाव हमारे पूरे दिन को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।
मंत्र:
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती।
करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम्।।
जब हम सुबह अपनी हथेलियों की ओर देखते हैं, तो माना जाता है कि हथेलियों के आगे के भाग में माँ लक्ष्मी (समृद्धि), बीच में माँ सरस्वती (ज्ञान) और मूल भाग में भगवान विष्णु (पालन करने वाले) का निवास है। इस तरह, अपने हाथों को देखकर मंत्र बोलते हुए हम मन ही मन यह स्वीकार करते हैं कि हमारा कर्म ही परमेश्वर की ओर जाता मार्ग है, और हमारे अंदर समृद्धि, बुद्धि तथा संरक्षण का संगम है।
हर सुबह जब आप अपनी हथेलियाँ सामने फैलाते हैं, तो यह सिर्फ एक धार्मिक क्रिया नहीं बल्कि स्वयं के प्रति सम्मान का भाव भी है। यह वह पल है जिसमें आप अपनी शक्ति, अपने कर्म और अपने भीतर पनप रही क्षमताओं को नमन करते हैं। यह अहसास, कि आपके हाथों में संपन्नता, ज्ञान और संरक्षण की शक्ति है, दिनभर आपकी सोच, आत्मबल और कार्यक्षमता को मजबूत करता है।
सुबह की बेला में किया गया यह छोटा सा जाप, दिनभर आपके व्यवहार में सकारात्मकता, आशावाद और संकल्प शक्ति की झलक लाता है। जब आप खुद से और अपने हाथों की शक्ति पर विश्वास रखते हैं, तो आप असंभव को भी संभव कर सकते हैं।
निष्कर्ष
हर सुबह अपनी हथेलियों को देखकर मंत्र का जाप करें। यह न सिर्फ आपके दिन की शुभ शुरुआत करेगा, बल्कि आपके अंदर अदृश्य आत्मबल और विश्वास का संचार भी करेगा। अपनी हथेलियों में छुपी ऊर्जा को पहचाने और पूरे दिन खुद पर गर्व महसूस करें।