

सुबह उठते ही अपने हाथों को देखकर इस मंत्र का स्मरण करने से दिन मंगलमय होता है।
मंत्र (संस्कृत):
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती।
करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम्॥
भावार्थ:
हथेलियों के अग्रभाग में लक्ष्मी, मध्य में सरस्वती और मूल में भगवान विष्णु का वास है। प्रभात में इनका दर्शन शुभ होता है।
धरती माता पर पैर रखने से पहले क्षमा याचना करना चाहिए।
मंत्र (संस्कृत):
समुद्र वसने देवी पर्वत स्तन मण्डले।
विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्व मे॥
भावार्थ:
हे समुद्र वसनी, पर्वतों के स्तन के समान धरती माता! हे विष्णु पत्नी! मेरे पादस्पर्श को क्षमा करें।
दिनभर शुभ कार्यों की सिद्धि हेतु ग्रहों का स्मरण किया जाता है।
मंत्र (संस्कृत):
ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्च।
गुरुः शुक्रः शनिराहुकेतवः कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम्॥
भावार्थ:
ब्रह्मा, विष्णु, शिव, सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु – सभी मेरे दिन को मंगलमय बनाएं।
स्नान के समय पवित्र नदियों का स्मरण करना चाहिए।
मंत्र (संस्कृत):
गङ्गे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति।
नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु॥
भावार्थ:
हे गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिन्धु और कावेरी नदियों! इस जल में पवित्रता प्रदान करें।
सूर्यदेव को अर्घ्य देकर नमस्कार करने से स्वास्थ्य, ऊर्जा और सफलता मिलती है।
मंत्र (संस्कृत):
ॐ सूर्य आत्मा जगतस्तस्रुषुष्च
आदित्यस्य नमस्कारान्ये कुर्वन्ति दिने दिने।
दीर्घायुर् बलं वीर्यं तेजोऽऽरोग्यं महद् यशः
प्राप्त्यन्ते सर्वकामांश्च सूर्याराधनतो नरः॥
भावार्थ:
सूर्यदेव की पूजा करने से दीर्घायु, बल, वीर्य, तेज, आरोग्य और यश प्राप्त होता है।
मंत्र (संस्कृत):
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते॥
भावार्थ:
हे आदि देव सूर्य! आप प्रसन्न हों, हे दिवाकर, प्रभाकर आपको मेरा बार-बार प्रणाम है।
दीपक को प्रणाम करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
मंत्र (संस्कृत):
शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यं धनसंपदा।
शत्रुबुद्धि विनाशाय दीपकाय नमोऽस्तु ते॥
दूसरा श्लोक (संस्कृत):
दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दनः।
दीपो हरतु मे पापं सन्ध्या दीप नमोऽस्तु ते॥
भावार्थ:
दीपक कल्याण, स्वास्थ्य और समृद्धि देने वाला है। यह अज्ञान और शत्रु बुद्धि का नाश करता है। दीप साक्षात ब्रह्म स्वरूप है और पापों का नाश करता है।
मंत्र (संस्कृत):
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
अर्थ:
गुरु ही ब्रह्मा हैं, गुरु ही विष्णु हैं, गुरु ही महेश्वर हैं। गुरु ही साक्षात परब्रह्म हैं। ऐसे श्री गुरु को मैं प्रणाम करता हूँ।
मंत्र (संस्कृत):
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
अर्थ:
हे वक्रतुण्ड महाकाय गणेश! जो सूर्य के समान करोड़ों प्रकाशमान हैं, कृपया मेरे सभी कार्य निर्विघ्न संपन्न कराइए।
मंत्र (संस्कृत):
ॐ भूर् भुवः स्वः ।
तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि ।
धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
अर्थ:
हम उस दिव्य शक्ति की उपासना करते हैं जो समस्त सृष्टि की प्रेरणा है। वह परम तेज हमारे बुद्धि को प्रकाशित करे।
मंत्र (संस्कृत):
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
अर्थ:
हम त्रिनेत्र वाले भगवान शिव की उपासना करते हैं जो सुगंधित और सभी को पोषण देने वाले हैं। वे हमें मृत्यु के बंधन से मुक्त करें और अमृतत्व प्रदान करें।
मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अर्थ: वह देवी जो सभी प्राणियों में शक्ति स्वरूप विराजमान हैं, उन्हें बार-बार नमस्कार है।
प्रतिदिन इन मंत्रों का स्मरण करने से जीवन में सकारात्मकता, मानसिक शांति और आध्यात्मिक शक्ति का संचार होता है। यह मंत्र हमें हमारी सनातन संस्कृति और परंपरा की याद दिलाते हैं और दिन को शुभ बनाते हैं।