चैत्र हिन्दू धर्म में एक मास का नाम होता है, जिसे चन्द्र हिन्दू कैलेंडर में चैत्र मास कहा जाता है। हिन्दू धर्म विक्रम सवंत् के अनुसार पहला महीना होता है और इस महीने से हिन्दू नववर्ष की शुरूआत होती है। जिसे संवत्सर कहा जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर में मार्च और अप्रैल का महीना होता है। हिन्दू वर्ष का पहला मास होने के कारण चैत्र मास का अधिक महत्व होता है।
ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना आरंभ की थी। वहीं सतयुग की शुरुआत भी चैत्र माह से मानी जाती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी महीने की प्रतिपदा को भगवान विष्णु के दशावतारों में से पहले अवतार मतस्यावतार अवतरित हुए एवं जल प्रलय के बीच घिरे मनु को सुरक्षित स्थल पर पंहुचाया था। जिनसे प्रलय के पश्चात नई सृष्टि का आरंभ हुआ।
हिन्दू पंचाग के अनुसार प्रत्येक मास का अपना महत्व होता है इस प्रकार चैत्र मास का भी महत्व है। चैत्र मास में महानवमी व नवरात्रि का त्योहार आता है।
विक्रम संवत में चैत्र का महीना पहला महीना होता है। हिन्दू धर्म महीनों के नाम नक्षत्रों पर आधारित होते है। हिन्दू धर्म में महीना का बदलना चन्द्र चक्र पर निर्भर करता है, चन्द्रमा जिस नक्षत्र पर होता है उस महीने का नाम उसी नक्षत्र के आधार पर रखा जाता है। चैत्र मास की पूर्णिमा को चंद्रमा चित्रा नक्षत्र में रहता है इसलिए इस मास को चैत्र का मास कहा जाता है। चैत्र मास में सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है।
चैत्र मास का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना आरंभ की थी। वहीं सतयुग की शुरुआत भी चैत्र मास से मानी जाती है। चैत्र महीने की प्रतिपदा को भगवान विष्णु के दशावतारों में से पहले अवतार मतस्यावतार अवतरित हुए एवं जल प्रलय के बीच घिरे मनु को सुरक्षित स्थल पर पंहुचाया था। जिनसे प्रलय के पश्चात नई सृष्टि का आरंभ हुआ।