🕉️ आठ प्रहर के रहस्य: जानिए दिन-रात के इन अद्भुत चरणों के बारे में

भारतीय संस्कृति और धर्म में "प्रहर" का बहुत खास महत्व है। पूरा एक दिन यानी 24 घंटे को आठ बराबर हिस्सों में बांटा गया है, जिसे हम आठ प्रहर कहते हैं। हर प्रहर का अपना विशेष प्रभाव और आध्यात्मिक महत्व होता है। आइए जानते हैं हर प्रहर का रहस्य:


🌅 पहला प्रहर (शाम 6 बजे से रात 9 बजे तक)

  • यह समय देवी-देवताओं की पूजा और संध्या वंदन के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

  • सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर समय।


🌙 दूसरा प्रहर (रात 9 बजे से रात 12 बजे तक)

  • यह समय शुभ खरीदारी के लिए आदर्श नहीं माना जाता।

  • प्राचीन मान्यताओं के अनुसार इस समय पेड-पौधों से भी दूरी बनानी चाहिए।


🌃 तीसरा प्रहर (रात 12 बजे से रात 3 बजे तक)

  • रात्रि विश्राम और साधना का समय।

  • तंत्र-मंत्र और सिद्धियों के लिए उपयुक्त माना जाता है।


🌄 चौथा प्रहर (रात 3 बजे से सुबह 6 बजे तक)

  • ब्रह्म मुहूर्त का आरंभ इसी प्रहर में होता है।

  • ध्यान, योग और मंत्र जाप के लिए सबसे पवित्र समय।


☀️ पांचवां प्रहर (सुबह 6 बजे से सुबह 9 बजे तक)

  • दिन की शुभ शुरुआत का समय।

  • किसी भी नए कार्य का शुभारंभ करने के लिए सर्वोत्तम प्रहर।


🌤️ छठा प्रहर (सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक)

  • कार्यों में व्यस्तता और कर्म की साधना का समय।

  • विशेष कार्यों के लिए यह उत्तम माना जाता है।


🌞 सातवां प्रहर (दोपहर 12 बजे से दोपहर 3 बजे तक)

  • भोजन, विश्राम और आत्मचिंतन के लिए उपयुक्त समय।

  • अधिक परिश्रम से बचना चाहिए।


🌇 आठवां प्रहर (दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक)

  • दिन के कार्यों का समापन और दिनचर्या को व्यवस्थित करने का समय।

  • पूजा, संकल्प और दिन का समापन अच्छे विचारों के साथ करना चाहिए।


✨ निष्कर्ष

प्रहर केवल समय के हिस्से नहीं हैं, बल्कि यह प्रकृति और ब्रह्मांड के साथ हमारे सामंजस्य को दर्शाते हैं। यदि हम इन प्रहरों का सही उपयोग करें, तो जीवन में संतुलन, ऊर्जा और आध्यात्मिक विकास सुनिश्चित कर सकते हैं।
हर पल को जागरूकता और श्रद्धा के साथ जिएं।

🙏 ॐ तत्सत।




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