बुध अष्टमी हिंदू भक्तों के लिए एक बड़ा धार्मिक उत्सव है। यह उत्सव 'अष्टमी' तिथि (8 वां दिन) को मनाया जाता है, जब हिंदू चंद्र कैलेंडर में 'बुधवार' पड़ता है। बुध अष्टमी किसी महीने के 'शुक्ल पक्ष' (चंद्रमा के उज्ज्वल पखवाड़े) या 'कृष्ण पक्ष' (चंद्रमा के अंधेरे पखवाड़े) के दौरान हो सकती है। इस दिन भक्त भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करते हैं और उन्हें अपनी प्रार्थनाओं में समर्पित होते हैं।
हिंदू कथाओं के अनुसार, बुध अष्टमी के दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को मृत्यु के बाद कभी नर्क नहीं जाना पड़ता। इसलिए हिंदू भक्त अपने जीवन में समृद्धि और कल्याण के लिए बुध अष्टमी व्रत का पालन करते हैं। यह व्रत गुजरात, महाराष्ट्र और भारत के उत्तरी राज्यों में विशेष रूप से मनाया जाता है।
बुध अष्टमी के दिन, भक्त बुध ग्रह की पूजा करते हैं और उनकी कृपा का आशीर्वाद मांगते हैं। व्रत के दौरान अधिकांश भक्त उपवास रखते हैं और विशेष 'नैवेद्य' तैयार किया जाता है जो भगवान बुद्ध को अर्पित किया जाता है। पूजा के बाद, नैवेद्य को भोजन के रूप में समर्पित किया जाता है।
बुध अष्टमी व्रत का पालन करने वाले को उसके सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन भगवान शिव और पार्वती की पूजा करने से पिछले जन्मों के पापों से भी मुक्ति मिल जाती है। बुध अष्टमी व्रत उन लोगों द्वारा भी मनाया जाता है जो 'बुध ग्रह दोष' से पीड़ित हैं, जिससे भविष्य में उन्हें सुख और शांति मिलती है।
बुध अष्टमी व्रत के अनुष्ठान और पूजा से हमें आध्यात्मिक और मानवीय उन्नति की प्राप्ति होती है। यह एक समृद्ध और पवित्र उत्सव है जो हमें आत्मिक शांति और संतोष की ओर ले जाता है।
बुध अष्टमी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन है। यह त्यौहार 'अष्टमी' तिथि को मनाया जाता है, जब उस दिन 'बुधवार' होता है। इस दिन भक्त भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करते हैं। बुध अष्टमी का व्रत करने से व्यक्ति को नरक से मुक्ति मिलती है।
बुधवार, 01 मई 2025
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 01 मई 2025 प्रातः 05:46 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त: 02 मई 2025 प्रातः 04:01 बजे
बुधवार, 15 मई 2025
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 15 मई 2025 प्रातः 04:19 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त: 16 मई 2025 प्रातः 06:23 बजे
बुधवार, 11 सितंबर 2025
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 10 सितंबर 2025 रात्रि 11:12 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त: 11 सितंबर 2025 रात्रि 11:47 बजे