घर के मंदिर में इन चीजों को भूलकर भी न रखें, अन्यथा धन की तिजोरी हमेशा खाली रहेगी।
thedivineindia.com | Updated UTC time: 2024-01-26 11:25:34
वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों का पालन करने से जीवन में विभिन्न समस्याओं को कम किया जा सकता है, खासकर जब बात आपके घर के मंदिर की हो। परिवार के भीतर शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए मंदिर वास्तु से जुड़े सभी दिशानिर्देशों का पालन करना महत्वपूर्ण है।
हर व्यक्ति जीवन में प्रगति की चाहत रखता है, लेकिन विभिन्न कारणों से हमेशा सफलता नहीं मिल पाती है। ऐसा माना जाता है कि वास्तु शास्त्र के नियमों की अनदेखी करने से जीवन में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इन सिद्धांतों का पालन करके व्यक्ति कई समस्याओं पर काबू पा सकता है। खासतौर पर घर के मंदिर से जुड़े दिशा-निर्देशों का पालन करना जरूरी है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, कुछ वस्तुओं को मंदिर में नहीं रखना चाहिए, क्योंकि यह परिवार के समग्र कल्याण को प्रभावित कर सकता है। आइए जानें कि मंदिर में क्या करने से बचना चाहिए।
- एक से अधिक शंख: मंदिर में शंख रखना शुभ माना जाता है, लेकिन सलाह दी जाती है कि एक से अधिक शंख न रखें। ऐसा माना जाता है कि मंदिर में एक से अधिक शंख रखने से आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है।
- पूर्वजों की तस्वीरें: वास्तु शास्त्र के अनुसार, मंदिर के पास पूर्वजों या पितरों की तस्वीरें लगाने से बचना चाहिए। इनकी तस्वीरें मंदिर के नजदीक रखना अपमानजनक माना जाता है और इसकी जगह इन्हें घर की दक्षिण दिशा में भी लगाया जा सकता है।
- माचिस की तीलियाँ रखने से बचें: मंदिर में माचिस की तीलियाँ रखना हतोत्साहित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर में माचिस रखने से घर की शांति भंग हो सकती है और पारिवारिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
- पुरानी या फटी हुई तस्वीरें और किताबें: पुरानी या फटी हुई तस्वीरें या किताबें मंदिर में नहीं रखनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि ऐसी वस्तुएं परिवार में नकारात्मक ऊर्जा पैदा कर सकती हैं, जिससे रिश्ते और सद्भाव प्रभावित हो सकते हैं।
- मुरझाए फूल: सलाह दी जाती है कि मंदिर में मुरझाए या सूखे फूल न रखें। वास्तु के अनुसार, मंदिर में सूखे फूल रखने से व्यक्ति के जीवन में निराशा और उदासी का भाव आ सकता है।
इन दिशानिर्देशों का पालन करके, कोई भी व्यक्ति मंदिर में एक सामंजस्यपूर्ण और सकारात्मक वातावरण बना सकता है, जिससे पूरे परिवार के लिए आध्यात्मिक और भौतिक कल्याण सुनिश्चित हो सकेगा।
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