नंदी के कानों में मनोकामना कहने का क्या महत्व है और ऐसा क्यों किया जाता है? नंदी भगवान शिव का परम सेवक है। किसी भी शिव मंदिर में भगवान शिव के सामने नंदी जो कि एक बैल के रूप में अवश्य स्थापित रहते है। भगवान शिव, नंदी की सवारी करते है और भगवान शिव को नंदी अति प्रिय है।
भगवान शिव ज्यादातर तप में विलिन रहते है इसलिए भगवान शिव संपूर्ण जगत का संचालन में बंद आंखो से सहयोग करते है। जबकि नंदी चौतन्यता का प्रतीक है जो खुली आंखों और खुले कानों से व्यक्त-अव्यक्त बातों का भान करता है। पुराणों के अनुसार भगवान शिव की तपस्या में किसी प्रकार का विघ्न न पड़े इसलिए नंदी चौतन्य अवस्था में उनके तपोस्थल के बाहर तैनात रहते हैं। जो भी भक्त, भगवान शिव के पास अपनी समस्या लेकर आता है, नंदी उन्हें वहीं रोक लेते हैं। किसी भी तरह से भगवान शिव की तपस्या भंग ना हो, इसलिए भक्त भी अपनी बात नंदी के कान में कह देते हैं और शिव के तपस्या से बाहर आने पर नंदी उन्हें भक्तों की सारी बातें जस की तस बता देते हैं। भक्तों को यह भी विश्वास रहता है कि नंदी उनकी बात शिवजी तक पहुंचाने में कोई भेदभाव नहीं करते और वे शिवजी के प्रमुख गण हैं, इसलिए शिवजी भी उनकी बात अवश्य मानते हैं।