पीपल के वृक्ष को समस्त वृक्षों में सबसे पवित्र इसलिए माना गया है, क्योंकि हिन्दुओं की धार्मिक आस्था के अनुसार स्वयं भगवान श्री विष्णु जी पीपल वृक्ष में निवास करते हैं। श्री मद् भागवद्गीता में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण जी अपने श्री मुख से उच्चारित किये हैं कि वृक्षों में मैं पीपल हूँ। स्कन्ध पुराण में नारायण, पत्तों में भगवान हरि और फूलों में समस्त देवताओं से युक्त अच्युत भगवान सदैव निवास करते है।
पीपल ही एक मात्र ऐसा वृक्ष है जो चैबीस घण्टे दिन-रात ऑक्सीजन का उत्सर्जन करता है जो जीवधारियों के लिए प्राणवायु कही जाती है। प्रत्येक जीवधारी ऑक्सीजन लेता है और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ता है। वैज्ञानिक खोजों से यह तथ्य सिद्ध हो चुका है। ऑक्सीजन देने के अलावा पीपल वृक्ष में अन्य अनेक विशेषतायें हैं।जैसे इसकी छाया सर्दी में ऊष्णता गर्मी देता है और गर्मी में शीतलता देती है। इसके अलावा पीपल के पत्तों से स्पर्श करने से वायु में मिले संक्रामक वायास नष्ट हो जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार इसकी छाल, पत्तों और फल आदि से अनेक प्रकार के रोग नाशाक दवायें बनती हैं। इस तरह वैज्ञानिक दृष्टि से भी पीपल-वृक्ष पूज्यनीय है।