निर्जला एकादशी 2024

महत्वपूर्ण जानकारी

  • निर्जला एकादशी 2024
  • मंगलवार, 18 जून 2024
  • एकादशी तिथि प्रारंभ : 17 जून 2024 को दोपहर 01:07 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त : 18 जून 2024 को दोपहर 01 बजकर 45 मिनट पर

हिन्दू धर्म में एकादशी का व्रत महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते है। निर्जला एकादशी के व्रत में पानी पीना वर्जित होता है अर्थता पूरे व्रत में एक बूंद पानी भी नहीं पीया जाता है। इसलिए इसे एकादशी हो निर्जला एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी को भीमसेन एकादशी भी कहा जाता है जिसकी कथा इस लेख में बताई गई है।

वर्ष भर की चैबीस एकादशियों में से ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी सर्वोत्तम मानी गई है। इसका व्रत करने से सारी एकादशियों के व्रतों का फल मिल जाता है।

विधान

यह व्रत नर एवं नारियों दोनों को करना चाहिए। जलपान के निषिद्ध होने पर भी फलाहार के साथ दूध लिया जा सकता है। इस दिन निर्जल व्रत करते हुए शेषशायी रूप में भगवान विष्णु की आराधना का विशेष महत्त है। इस दिन ‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवायः’ का जाप करके गोदान, वस्त्र दान, छत्र, फल आदि का दान करना चाहिए।

कथा

एक बार महर्षि व्यास पांडवो के यहाँ पधारे। भीम ने महर्षि व्यास से कहा, भगवान! युधिष्ठर, अर्जुन, नकुल, सहदेव, माता कुन्ती और द्रौपदी सभी एकादशी का व्रत करते है और मुझसे भी व्रत रख्ने को कहते है परन्तु मैं बिना खाए रह नही सकता है इसलिए चैबीस एकादशियो पर निरहार रहने का कष्ट साधना से बचाकर मुझे कोई ऐसा व्रत बताईये जिसे करने में मुझे विशेष असुविधा न हो और सबका फल भी मुझे मिल जाये। महर्षि व्यास जानते थे कि भीम के उदर में बृक नामक अग्नि है इसलिए अधिक मात्रा में भोजन करने पर भ उसकी भूख शान्त नही होती है महर्षि ने भीम से कहा तुम ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी का व्रत रखा करो। इस व्रत मे स्नान आचमन मे पानी पीने से दोष नही होता है इस व्रत से अन्य तेईस एकादशियो के पुण्य का लाभ भी मिलेगा तुम जीवन पर्यन्त इस व्रत का पालन करो भीम ने बडे साहस के साथ निर्जला एकादशी व्रत किया, जिसके परिणाम स्वरूप प्रातः होते होते वह सज्ञाहीन हो गया तब पांडवो ने गगाजल, तुलसी चरणामृत प्रसाद, देकर उनकी मुर्छा दुर की। इसलिए इसे भीमसेन एकादशी भी कहते हैं।







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