उत्पन्ना एकादशी 2025

महत्वपूर्ण जानकारी

  • उत्पन्ना एकादशी 2025
  • शनिवार, 15 नवंबर 2025
  • एकादशी तिथि प्रारम्भ: 15 नवंबर 2025 प्रातः 00:49 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त: 16 दिसंबर 2025 को सुबह 02:37 बजे

उत्पन्ना एकादशी का व्रत मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विधान है। एकादशी का व्रत रखने वाले दशमी के दिन शाम को भोजन नहीं करते हैं। एकादशी के दिन ब्रह्मवेला में भगवान श्रीकृष्ण की पुष्प, जल, धूप, अक्षत से पूजा की जाती है। इस व्रत में केवल फलों का ही भोग लगया जाता है। यह ब्रह्मा, विष्णु, महेश त्रिदेवों का संयुक्त अंश माना जाता है। यह अंश दत्तादेय के रूप में प्रकट हुआ था। यह मोक्ष देनेवाला व्रत माना जाता है।

उत्पन्ना एकादशी कथा

सत्ययुग में एक बार मुर नामक राक्षस ने देवताओं पर विजय प्राप्त कर इन्द्र को अपदस्थ कर दिया। देवता भगवान शंकर की शरण में पहुँचे। भगवान शंकर ने देवताओं को विष्णु जी के पास भेज दिया। विष्णुजी ने दानवों को तो परास्त कर दिया परन्तु मुर भाग गया। विष्णु ने मुर को भागता देखकर लड़ना छोड़ दिया और बद्रिकाश्रम की गुफा में आराम करने लगे। मुर ने वहाँ पहुँचकर विष्णुजी को मारना चाहा। तत्काल विष्णुजी के शरीर से एक कन्या का जन्म हुआ, जिसने मुर का वध कर दिया। उस कन्या ने विष्णु को बताया मैं आपके अंश से उत्पन्न शक्ति हूँ। विष्णुजी ने प्रसन्न होकर उस कन्या को आशीर्वाद दिया कि तुम संसार में माया जाल में उलझे तथा मोह के कारण मुझसे विमुख प्राणियों को मुझतक लाने में सक्षम होओगी। तुम्हारी आराधना करने वाले प्राणी आजीवन सुखी रहेंगे। यही कन्या ‘एकादशी’ कहलाई। वर्ष की 24 एकादशियों में यही एकादशी ऐसी है जिसका माहात्म्य अपूर्व है।



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