अजा एकादशी 2023

अजा एकादशी 2023

महत्वपूर्ण जानकारी

  • आजा एकादशी 2023
  • रविवार, 10 सितंबर 2023
  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 09 सितंबर 2023 अपराह्न 07:18 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त: 10 सितंबर 2023 को रात 09:28 बजे

भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष में जो एकादशी आती है उसे अजा एकादशी कहते है। ऐसा माना जाता है कि अजा एकादशी का व्रत करने पर अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है। एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि की विधि-विधान से पूजा की जाती है। अजा एकादशी का व्रत और पूजा करने वालों को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

अजा एकादशी के दिन दान, ध्यान करने का विशेष महत्व बताया गया है। इसलिए अजा एकादशी के दिन व्रत कथा का विशेष महत्व होता है। अजा एकादशी के दिन व्रत कथा सुनने या पढ़ने से श्रीहरि सभी कष्टों से मुक्ति दिलाते हैं।

अजा एकादशी कथा

कुंतीपुत्र युधिष्ठिर कहने लगे कि हे भगवान! भाद्रपद कृष्ण एकादशी का क्या नाम है? व्रत करने की विधि तथा इसका माहात्म्य कृपा करके कहिए।
मधुसूदन कहने लगे कि इस एकादशी का नाम अजा है। यह सब प्रकार के समस्त पापों का नाश करने वाली है। इस एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु जी की पूजा का विधान होता है। जो मनुष्य इस दिन भगवान ऋषिकेश की पूजा करता है उसको वैकुंठ की प्राप्ति अवश्य होती है। अब आप इसकी कथा सुनिए।
प्राचीनकाल में हरिशचंद्र नामक एक चक्रवर्ती राजा राज्य करता था। उसने किसी कर्म के वशीभूत होकर अपना सारा राज्य व धन त्याग दिया, साथ ही अपनी स्त्री, पुत्र तथा स्वयं को बेच दिया।

वह राजा चांडाल का दास बनकर सत्य को धारण करता हुआ मृतकों का वस्त्र ग्रहण करता रहा। मगर किसी प्रकार से सत्य से विचलित नहीं हुआ। कई बार राजा चिंता के समुद्र में डूबकर अपने मन में विचार करने लगता कि मैं कहां जाऊं, क्या करूं, जिससे मेरा उद्धार हो।

इस प्रकार राजा को कई वर्ष बीत गए। एक दिन राजा इसी चिंता में बैठा हुआ था कि गौतम ऋषि आ गए। राजा ने उन्हें देखकर प्रणाम किया और अपनी सारी दुःखभरी कहानी कह सुनाई। यह बात सुनकर गौतम ऋषि कहने लगे कि राजन तुम्हारे भाग्य से आज से सात दिन बाद भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अजा नाम की एकादशी आएगी, तुम विधिपूर्वक उसका व्रत करो।

गौतम ऋषि ने कहा कि इस व्रत के पुण्य प्रभाव से तुम्हारे समस्त पाप नष्ट हो जाएंगे। इस प्रकार राजा से कहकर गौतम ऋषि उसी समय अंतर्ध्यान हो गए। राजा ने उनके कथनानुसार एकादशी आने पर विधिपूर्वक व्रत व जागरण किया। उस व्रत के प्रभाव से राजा के समस्त पाप नष्ट हो गए।

स्वर्ग से बाजे बजने लगे और पुष्पों की वर्षा होने लगी। उसने अपने मृतक पुत्र को जीवित और अपनी स्त्री को वस्त्र तथा आभूषणों से युक्त देखा। व्रत के प्रभाव से राजा को पुनः राज्य मिल गया। अंत में वह अपने परिवार सहित स्वर्ग को गया।









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