पद्मिनी एकादशी 2026

महत्वपूर्ण जानकारी

  • पद्मिनी एकादशी 2026
  • बुधवार, 27 मई 2026
  • एकादशी तिथि प्रारम्भ - 26 मई 2026 प्रातः 05:10 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त - 27 मई 2026 को प्रातः 06:21 बजे

पद्मिनी एकादशी हिन्दू धर्म में महत्वूपर्ण दिन होता है। पूरे वर्ष में एक 24 एकादशी होती है। परन्तु मलमास व पुरूषोत्तम मास में एकादशी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। मलमास या अधिकमास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को पद्मिनी एकादशी कहते हैं यह एकादशी अत्यंत पुण्य दायिनी होती है। पद्मिनी एकादशी को पुरुषोत्तम एकादशी भी कहा जाता है। इसमें राधा कृष्ण तथा शिव पार्वती के पूजन का विधान है। पद्मिनी एकादशी लगभग 3 साल में एक बार आती है।

2026 में पद्मिनी एकादशी और पुरुषोत्तम एकादशी कब है?

पद्मिनी एकादशी 27 मई 2026, बुधवार को है। एकादशी 26 मई 2026 को सुबह 05:10 बजे शुरू होगी और 27 मई 2026 को सुबह 06:21 बजे समाप्त होगी।

पद्मिनी एकादशी पूजा

पद्मिनी एकादशी के दिन पूरे समर्पण के साथ भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। व्रत करने वाले व्यक्ति को सूर्योदय के समय उठना चाहिए और स्नान करना चाहिए। भगवान विष्णु की एक छोटी मूर्ति पूजा स्थल पर रखी जाती है और भक्त भगवान को चंदन का लेप, तिल, फल, दीपक और धूप चढ़ाते हैं। इस दिन ’विष्णु सहस्त्रनाम’ और ’नारायण स्तोत्र’ का पाठ करना शुभ माना जाता है।
द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन करवा कर उन्हें विदा करें फिर भोजन करें।

पद्मिनी एकादशी पूजा का फल

पद्मिनी एकादशी व्रत करने से मनुष्य जीवन सफल माना जाता है। पद्मिनी व्रत का पालन करने वाले सभी सांसारिक सुखों का आनंद लेते हैं और अंततः भगवान विष्णु के स्वर्गीय राज्य ‘वैकुंठ’ में स्थान पाते हैं।

पद्मिनी एकादशी कथा

पद्मिनी एकादशी भगवान को अति प्रिय है। इस व्रत का विधि पूर्वक पालन करने वाला विष्णु लोक को जाता है। इस व्रत के पालन से व्यक्ति सभी प्रकार के यज्ञों, व्रतों एवं तपस्चर्या का फल प्राप्त कर लेता है। इस व्रत की कथा के अनुसार:

श्री कृष्ण कहते हैं त्रेता युग में एक परम पराक्रमी राजा कीतृवीर्य था। इस राजा की कई रानियां थी परतु किसी भी रानी से राजा को पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई। संतानहीन होने के कारण राजा और उनकी रानियां तमाम सुख सुविधाओं के बावजूद दु:खी रहते थे। संतान प्राप्ति की कामना से तब राजा अपनी रानियो के साथ तपस्या करने चल पड़े। हजारों वर्ष तक तपस्या करते हुए राजा की सिर्फ हडि्यां ही शेष रह गयी परंतु उनकी तपस्या सफल न रही। रानी ने तब देवी अनुसूया से उपाय पूछा। देवी ने उन्हें मल मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने के लिए कहा।

अनुसूया ने रानी को व्रत का विधान भी बताया। रानी ने तब देवी अनुसूया के बताये विधान के अनुसार पद्मिनी एकादशी का व्रत रखा। व्रत की समाप्ति पर भगवान प्रकट हुए और वरदान मांगने के लिए कहा। रानी ने भगवान से कहा प्रभु आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो मेरे बदले मेरे पति को वरदान दीजिए। भगवान ने तब राजा से वरदान मांगने के लिए कहा। राजा ने भगवान से प्रार्थना की कि आप मुझे ऐसा पुत्र प्रदान करें जो सर्वगुण सम्पन्न हो जो तीनों लोकों में आदरणीय हो और आपके अतिरिक्त किसी से पराजित न हो। भगवान तथास्तु कह कर विदा हो गये। कुछ समय पश्चात रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया जो कार्तवीर्य अर्जुन के नाम से जाना गया। कालान्तर में यह बालक अत्यंत पराक्रमी राजा हुआ जिसने रावण को भी बंदी बना लिया था।

 




अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


पद्मिनी एकादशी कब है?

पद्मिनी एकादशी शनिवार, बुधवार, 27 मई 2026 को है।





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