कलियुग का अंत और क्या सच में कलियुग खत्म होगा?

कभी न कभी हमारे मन में यह सवाल जरूर आता है—“क्या सच में कलियुग खत्म होगा?”
जब हम रोज़-रोज़ अखबारों और खबरों में हत्या, धोखा, भ्रष्टाचार और अमानवीय घटनाएं देखते हैं, तो दिल भारी हो जाता है। लगता है, मानो मानवता अपनी आखिरी सांसें ले रही हो। जो लोग दुखों के सागर में डूब चुके हैं, उनके दिल में यही उम्मीद जगती रहती है कि भगवान फिर से धरती पर अवतार लें, सब पाप नष्ट कर दें और इस कलियुग का अंत कर दें।

कलियुग क्या है – केवल एक युग नहीं, एक मानसिक स्थिति

द्वापर युग के बाद शुरू हुआ कलियुग केवल समय का नाम नहीं, बल्कि हमारे सामूहिक मानसिक और आध्यात्मिक पतन का प्रतीक है।
पुराणों में इसे “काला युग” कहा गया है—एक ऐसा समय जब सच धुंधला पड़ जाता है, अच्छाई को नज़रअंदाज़ किया जाता है और कलह-क्लेश हर संबंध में घर कर जाते हैं।
यह वह युग है, जब लोग बिना वजह एक-दूसरे से द्वेष रखते हैं, और आत्मा का प्रकाश अज्ञान के अंधेरे में खो जाता है।

कलियुग की शुरुआत

महाभारत के अंत के बाद, श्रीकृष्ण का मानव शरीर त्यागकर वैकुंठ लौटना, पांडवों का स्वर्गारोहण और यदुवंश का विनाश—ये सब घटनाएं कलियुग के आगमन के संकेत थे।
ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कलियुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व हुआ। आज तक इसके 5126 वर्ष बीत चुके हैं।

कलियुग कब खत्म होगा?

विष्णु पुराण और भागवत पुराण के अनुसार, कलियुग की अवधि 4,32,000 वर्ष है। इसका मतलब है कि अभी तो हम बस शुरुआत में हैं—कलियुग के केवल 5,000 वर्ष ही बीते हैं और लगभग 4,26,000 वर्ष बाकी हैं।
यह सोचकर शायद निराशा होती है, लेकिन हर युग की तरह इसका भी अंत होगा।

समय का रहस्य – हर लोक में अलग

धरती (भूलोक) पर समय, स्वर्गलोक और पितरलोक से अलग गति से चलता है। मनुष्य का एक वर्ष देवताओं के लिए केवल एक दिन के बराबर है। इसका मतलब यह है कि ईश्वर के समय-मान में यह युग एक क्षण भर का भी नहीं है।

कलियुग की चरम सीमा – जब नैतिकता पूरी तरह खत्म हो जाएगी

पुराणों में कहा गया है कि जब कलियुग अपने चरम पर पहुंचेगा—

  • मनुष्य की औसत आयु घटकर मात्र 20 वर्ष रह जाएगी।
  • पांच वर्ष की बच्चियां गर्भवती हो जाएंगी।
  • छोटी-छोटी बीमारियां भी मृत्यु का कारण बन जाएंगी।
  • धरती पर अन्न उगना बंद हो जाएगा, चारों ओर अकाल और सूखा होगा।
  • मौसम इतने विकराल हो जाएंगे कि या तो भयंकर गर्मी, अथाह बारिश या हड्डियां जमा देने वाली ठंड में जीवन कठिन हो जाएगा।

उम्मीद की किरण

भले ही कलियुग लंबा है, लेकिन पुराण यह भी कहते हैं कि जो व्यक्ति सच्चे भाव से भगवान का नाम लेता है, धर्म और करुणा के मार्ग पर चलता है, वह इस युग में भी शांति और मोक्ष पा सकता है।
याद रखिए—अंधकार चाहे कितना भी घना हो, एक दीपक जलते ही उजाला फैल जाता है।




प्रश्न और उत्तर





2025 के आगामी त्यौहार और व्रत











दिव्य समाचार












ENहिं