सुखसागर के अनुसार भगवान विष्णु के 24 अवतार

सुखसागर, जो कि हिन्दू धर्म के एक प्रमुख ग्रंथ है, उसमें भगवान विष्णु के चौबीस प्रमुख अवतारों का वर्णन किया गया है। ये अवतार जीवन के विभिन्न संकटों और संरक्षण के लिए भगवान विष्णु के द्वारा धारण किए गए हैं। चौबीस अवतारों की कथाएं भगवत पुराण, विष्णु पुराण, और अन्य पुराणों में मिलती हैं। निम्नलिखित हैं विष्णु जी के चौबीस प्रमुख अवतार:

  1. सनकादि ऋषि : भगवान ने कौमारसर्ग में सनक, सनन्दन, सनातन और सनत्कुमार नामक ब्रह्मर्षियों के रूप में अवतार लिया। यह उनका पहला अवतार था.
  2. वराहावतार: पृथ्वी को रसातल से निकालने के लिए भगवान ने वराह रूप में अवतार लिया और हिरण्याक्ष का वध किया।
  3. नारद मुनि: ऋषियों को सत्त्वतंत्र का उपदेश देने के लिए नारद जी के रूप में अवतरित हुए, जिसे नारद पंचरात्र भी कहा जाता है और जो कर्म बंधनों से मुक्ति का वर्णन करता है।
  4. हंसावतार: भगवान ने हंस के रूप में अवतार लेकर सनकादि ऋषियों के प्रश्नों का उत्तर दिया।
  5. नर-नारायण : धर्म की पत्नी मूर्ति देवी के गर्भ से नर-नारायण का जन्म हुआ, जिन्होंने बदरीवन में जाकर घोर तपस्या की।
  6. कपिल मुनि : माता देवहुति के गर्भ से भगवान कपिल मुनि के रूप में अवतरित हुए जिन्होंने अपनी माता को सांख्य शास्त्र का उपदेश दिया।
  7. दत्तात्रेय : अनुसूया के गर्भ से दत्तात्रेय प्रकट हुए जिन्होंने प्रह्लाद, अलर्क आदि को ब्रह्मज्ञान दिया।
  8. यज्ञ : आकूति के गर्भ से यज्ञ नाम से अवतरित हुए।
  9. ऋषभदेव : नाभिराज की पत्नी मेरू देवी के गर्भ से भगवान ने ऋषभदेव नाम से अवतार लिया। उन्होंने परमहंस के सर्वोत्तम मार्ग की व्याख्या की।
  10. पृथु : भगवान ने राजा पृथु के रूप में अवतार लेकर गाय रूपी पृथ्वी से अनेक औषधियां, रत्न तथा अन्न निकाले।
  11. मत्स्य अवतार: चाक्षुषमन्वन्तर में जब पूरी पृथ्वी जलमग्न हो गई थी, तब भगवान ने पृथ्वी को नाव बनाकर भावी वैवस्वत मनु की रक्षा करने और हयग्रीवसुर नामक राक्षस का वध करने के लिए मत्स्य अवतार धारण किया था।
  12. कूर्म अवतार: समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और राक्षसों की सहायता के लिए भगवान ने कछुए के रूप में अवतार लिया था।
  13. धन्वंतरि : समुद्र से अमृत का घट निकालकर देवताओं को देने वाले का नाम भगवान ने धन्वंतरि रखा।
  14. मोहिनी: देवताओं को अमृत पिलाने के लिए भगवान ने मोहिनी रूप में अवतार लिया था।
  15. श्रीहरि गजेंद्रमोक्ष दाता: भगवान गज को ग्राह से बचाने आये थे। हालाँकि यह अवतार नहीं था क्योंकि अवतार में व्यक्ति दोबारा जन्म लेता है या कम से कम दूसरा रूप धारण कर लेता है; फिर भी कई स्थानों पर इसे अवतार भी माना गया है।
  16. नरसिम्हा: भगवान ने नरसिम्हा के रूप में अवतार लिया जिन्होंने राक्षस हिरण्यकशिपु को मारकर प्रह्लाद को बचाया।
  17. वामन: दैत्य बलि को पाताल में भेजकर देवराज इंद्र को स्वर्ग का राज्य दिलाने के लिए भगवान ने वामन रूप में अवतार लिया था।
  18. परशुराम : इक्कीस बार अहंकारी क्षत्रिय राजाओं को नष्ट करने के लिए परशुराम के रूप में अवतार लिया।
  19. वेदव्यास : पराशर जी के द्वारा भगवान ने सत्यवती के गर्भ से वेदव्यास के रूप में अवतार लिया, जिन्होंने वेदों का विभाग कर अनेक उत्तम ग्रंथों की रचना की।
  20. हयग्रीव : हयग्रीव नामक राक्षस को माता पार्वती ने वरदान दिया था कि केवल हयग्रीव ही उसका अंत कर सकता है। भगवान ने उसका अंत करने के लिए हयग्रीव के रूप में अवतार लिया और उसका वध किया।
  21. राम: भगवान ने राम के रूप में अवतार लिया और रावण के अत्याचार से विप्रों, धेनु, देवताओं और संतों की रक्षा की।
  22. कृष्ण: भगवान ने वासुदेव और देवकी के पुत्र कृष्ण के रूप में अवतार लिया, जिनके पास सभी कलाएँ थीं और उन्होंने अपने दुष्ट राक्षस कंस का वध किया।
  23. वेंकटेश्वर: भगवान विष्णु ने वेंकटेश्वर के रूप में उस स्थान पर अवतार लिया जहां भंडासुर ने हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु को जगाया था और उसी द्वार पर भगवान नरसिम्हा ने फिर से हिरण्यकशिपु का वध किया। उस स्थान को तिरूपति के नाम से जाना जाता है और भगवान विष्णु ने वेंकटेश्वर के रूप में अवतार लिया था।
  24. कल्कि : कलियुग के अंत में भगवान विष्णु का कल्कि अवतार यश नामक ब्राह्मण के घर में होगा।


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