कुशोत्पतिनी पिठोरी या अमावस्या 2024

महत्वपूर्ण जानकारी

  • कुशोत्पतिनी अमावस्या, पिथौरा अमावस्या, पिथौरी अमावस्या, भाद्रपद अमावस्या
  • सोमवार, 02 सितम्बर 2024
  • अमावस्या तिथि आरंभ: 02 सितंबर 2024 को सुबह 05:21 बजे
  • अमावस्या तिथि समाप्त: 03 सितंबर 2024 को सुबह 07:24 बजे

भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को कुशोत्पतिनी अमावस्या, भाद्रपद अमावस्या व पिठोरी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन पुरोहित वर्ष भर कर्मकाण्ड कराने के लिए, नदी, घाटियों से कुशा नामक घास उखाड़ कर घर लाते है। कुशा घास को उत्तराखंड में कांस कहते है। कुशा का वैज्ञानिक नाम एराग्रोस्टिस सिनोसुरोइड्स कहते है।

धार्मिक कार्यों, श्राद्ध कर्म आदि में इस्तेमाल की जाने वाली घास यदि इस दिन एकत्रित की जाए तो वह वर्ष भर तक पुण्य फलदायी होती है। बिना कुशा घास के कोई भी धार्मिक पूजा निष्फल मानी जाती है। इसलिए कुशा घास का उपयोग हिन्दू पूजा पद्धति में प्रमुखता से किया जाता है। इस दिन तोड़ी गई कोई भी कुशा वर्ष भर पवित्र रहती हैं।

कुशा घास निकलने के नियम

कुशोत्पतिनी अमावस्या के दिन कुशा धास को निकलने के कुछ नियम होते है जिनका पालन आवश्यक होता है।

शास्त्रों में दस प्रकार की कुशा का वर्णन दिया गया है।

कुशाः काशा यवा दूर्वा उशीराच्छ सकुंदकाः।
गोधूमा ब्राह्मयो मौन्जा दश दर्भाः सबल्वजाः।।

अत्यन्त पवित्र होने के कारण इसका एक नाम पवित्री भी है। इसके सिरे नुकीले होते हैं। कुशोत्पतिनी अमावस्या के दिन कुशा को निकलते समय यह ध्यान रखाना चाहिए कि कुशा को किसी भी औजार से ना काटा जाये, इसे केवल हाथों से की निकलना चाहिए और कुशा घास खंडित नहीं होनी चाहिए। अर्थात् घास का अग्रभाग टूटा हुआ नहीं होना चाहिए। कुशा एकत्रित करने के लिए सूर्योदय का समय सर्वश्रेष्ठ माना गया है। ‘ऊँ हुम् फट’ मन्त्र का उच्चारण करते हुए उत्तराभिमुख होकर कुशा उखाड़नी चाहिए। दाहिने हाथ से एक बार में ही कुशा को निकालें।

ऐसा माना जाता है कि जब सीता जी पृथ्वी में समाई थीं, तो श्री राम जी ने जल्दी से दौड़ कर उन्हें रोकने का प्रयास किया, किन्तु उनके हाथ में केवल सीता जी के केश ही आ पाए। यह केश राशि ही कुशा के रूप में परिणत हो गई।

पिथौरा अमावस्या भी कहते है

हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथि को पितरों के लिए किए जाने वाले श्राद्ध कर्म, तर्पण, पिंडदान आदि के लिए विशेष माना जाता है। यह तिथि दान-पुण्य, कालसर्प दोष निवारण के लिए भी महत्वपूर्ण मानी गई है। भाद्रपद अमावस्या में परिवार की सुख-शांति और धन-संपदा की प्राप्ति के लिए भी अनेक उपाय किए जाते हैं। भाद्रपद अमावस्या को पिथौरा अमावस्या भी कहा जाता है, इसलिए इस दिन देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। कहा जाता है इस दिन माता पार्वती ने इंद्राणी को इस व्रत का महत्व बताया था। विवाहित स्त्रियों द्वारा संतान की प्राप्ति एवं अपनी संतान की दीर्घायु के लिए देवी दुर्गा की पूजा की जाती है।



अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


2024 में कुशोत्पाटिनी या पिठोरी अमावस्या कब है?

2024 में कुशोत्पाटिनी या पिथोरी अमावस्या सोमवार, 02 सितंबर 2024 को है। अमावस्या तिथि 02 सितंबर 2024 को सुबह 05:21 बजे शुरू होगी और 03 सितंबर 2024 को सुबह 07:24 बजे समाप्त होगी।






2024 के आगामी त्यौहार और व्रत











दिव्य समाचार











Humble request: Write your valuable suggestions in the comment box below to make the website better and share this informative treasure with your friends. If there is any error / correction, you can also contact me through e-mail by clicking here. Thank you.

EN हिं