नैना देवी जी मंदिर

महत्वपूर्ण जानकारी

  • स्थान: हिमाचल प्रदेश में बिलासपुर जिला, बिलासपुर से 70 किमी की दूरी, चंडीगढ़ से 108 किलोमीटर, भाखड़ा से 10 किमी और आनंदपुर साहिब से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
  • समय: सुबह 5:00 से रात 9:00 बजे तक
  • जाने का सर्वोत्तम समय: अप्रैल से अक्टूबर,
  • निकटतम रेलवे स्टेशन: कीरतपुर साहिब, शिमला,
  • नजदीकी एयर पोर्ट: चंडीगढ़ से 100 किमी और भुंतर,

नैना देवी जी का मंदिर भारत का प्राचीन मंदिर है जो कि बिलासपुर जिले, हिमाचल प्रदेश में एक पहाड़ की चोटी पर स्थित है। नैना देवी जी का मंदिर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 21 से जुडा हुआ है। नैना देवी मंदिर 70 किलोमीटर बिलासपुर, 108 किलोमीटर चंडीगढ़, 10 किलोमीटर भांखडा और 20 किलोमीटर आनंदपुर साहिब से दूरी पर स्थित है।

नैना देवी मंदिर 51 सिद्व पीठों में से एक है। नैना देवी का मंदिर हिन्दू और सिख तीर्थयात्रियों का मुख्य तीर्थ स्थान है तथा माँ नैना देवी के दर्शनों के लिए भक्त पूरे भारत से आते है। नव राात्रि के त्यौहार के दौरान बड़ी संख्या में लोग दर्शनों के लिए मंदिर में आते है।

मंदिर तक पहुँचने के लिए बस टर्मिनल से सीढ़ियों द्वारा और केबल कार द्वारा जाया जा सकता है। एक अन्य रास्ता और है जो बस टर्मिनल से  कार व अन्य छोटे वाहन द्वारा मंदिर तक ले जाता है |

पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सती ने उनके पिता दक्षेस्वर द्वारा किये यज्ञ कुण्ड में अपने प्राण त्याग दिये थे, तब भगवान शंकर देवी सती के मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्माण चक्कर लगा रहे थे इसी दौरान भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया था, जिसमें से सती की आंखे इस स्थान गिर गई थी।

मंदिर से संबंधित एक अन्य कहानी नैना नाम के गुज्जर लड़के की है। एक बार वह अपने मवेशियों को चराने गया और देखा कि एक सफेद गाय अपने थनों से एक पत्थर पर दूध बरसा रही है। उसने अगले कई दिनों तक इसी बात को देखा, एक रात जब वह सो रहा था, उसने देवी माँ को सपने मे यह कहते हुए देखा कि वह पत्थर उनकी पिंडी है, उस नैना लड़के ने पूरी स्थिति और उसके सपने के बारे में राजा बीर चंद को बताया, जब राजा  ने देखा कि यह वास्तव में हो रहा है, राजा ने उसी स्थान पर श्री नयना देवी नाम के मंदिर का निर्माण करवाया।

श्री नैना देवी मंदिर महिशपीठ नाम से भी प्रसिद्ध है क्योंकि यहाँ पर माँ श्री नयना देवी जी ने महिषासुर का वध किया था, पौराणिक कथाओं के अनुसार, महिषासुर एक शक्तिशाली राक्षस था जिसे भगवान ब्रह्मा द्वारा अमरता का वरदान प्राप्त था, लेकिन भगवान ब्रह्मा जी इस शर्त पर अमराता को वरदान दिया था कि वह एक कुंवारी कन्या द्वारा ही परास्त हो सकता था, इस वरदान के कारण, महिषासुर ने पृथ्वी और देवताओं पर आतंक मचाना शुरू कर दिया, महिषासुर के साथ सामना करने के लिए सभी देवताओं ने अपनी शक्तियों को संयुक्त किया और एक देवी को बनाया जो उसे हरा सके, देवी को सभी देवताओं द्वारा अलग अलग प्रकार के हथियारों की भेंट प्राप्त हुई, महिषासुर देवी की असीम सुंदरता से मंत्रमुग्ध हो गया और उसने शादी का प्रस्ताव देवी के समक्ष रखा, देवी ने उसे कहा कि अगर वह उसे युद्ध में हरा देगा तो वह उससे शादी कर लेगी, युद्ध के दौरान, देवी ने दानव को परास्त किया और उसकी दोनों ऑंखें निकाल दीं।

एक और कहानी सिख गुरु गोबिंद सिंह जी के साथ जुडी हुई है, जब उन्होंने मुगलों के खिलाफ अपनी सैन्य अभियान 1756 में छेड़ दिया था, तब गोबिंद जी श्री नैना देवी गये और देवी का आशीर्वाद लेने के लिए एक महायज्ञ किया और माँ नैना देवी आशीर्वाद मिलने के बाद, उन्होंने सफलतापूर्वक मुगलों को हरा दिया था।
 











2024 के आगामी त्यौहार और व्रत











दिव्य समाचार











Humble request: Write your valuable suggestions in the comment box below to make the website better and share this informative treasure with your friends. If there is any error / correction, you can also contact me through e-mail by clicking here. Thank you.

EN हिं