देवउठनी एकादशी हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस दिन ज्यादातर महिलाएं उपवास रखती हैं। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी और देवउठनी ग्यारस कहते हैं। देवउठनी एकादशी को हरिप्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु चार महीने के लिए निद्रा अवस्था में चले जाते हैं। भगवान विष्णु कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर अपनी निद्रा अवस्था से बाहर आते हैं। इसलिए इस दिन को देवउठनी एकादशी के रूप में जाना जाता है। देवउठनी एकादशी के दिन चातुर्मास समाप्त होता है। इस दिन सभी देवता योग निद्रा के साथ जागते हैं।
देवउठनी एकादशी के बाद से ही हिंदू संतान धर्म में सभी शुभ और शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं। जैसे कि विवाह, मुंडन और उपनयन संस्कार आदि। कार्तिक माह में मनाई जाने वाली देव उठी एकादशी के दिन तुलसी विवाह करने का भी विधान है। इस दिन दान, पुण्य आदि का भी विशेष फल प्राप्त होता है।