सिमसा मंदिर हिमाचल प्रदेश

महत्वपूर्ण जानकारी

  • स्थान: माता मंदिर लडभड़ोल, सिमास माता मंदिर रोड, सिमास, हिमाचल प्रदेश 175016।
  • मंदिर का खुलने का समय : 24 घंटे खुला रहता है
  • निकटतम रेलवे स्टेशन: सिम्सा माता मंदिर से लगभग 157 किलोमीटर की दूरी पर पठानकोट जंक्शन।
  • निकटतम हवाई अड्डा: सिमसा माता मंदिर से लगभग 82.5 किलोमीटर की दूरी पर कांगड़ा हवाई अड्डा।
  • क्या आप जानते हैं: प्राचीन मान्यता के अनुसार, जो महिलाएं मंदिर में दिन-रात सोती हैं, वे मंदिर के फर्श पर सोती हैं और सिमसा माता उनके सपने में आती हैं और संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देती हैं।
  • मंदिर में संतान प्राप्ति के लिए जाने का समय : नवरात्रि महोत्सव के दौरान।

सिमसा मंदिर एक हिन्दू मंदिर है जो कि भारत के राज्य हिमाचल प्रदेश, कांगड़ा जिले के सिमसा गांव में स्थित है। यह मंदिर शारदा देवी को समर्पित है। यह मंदिर बैजनाथ नगर से 30 किलोमीटर और पालमपुर से 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सिमसा मंदिर हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। सिमसा देवी का यह मंदिर अनोखा है। इस मंदिर में निःसंतान महिला मंदिर के फर्श पर सोने से महिला को संतान की प्राप्ति होती है। इस मंदिर को संतान दात्री मंदिर भी कहते हैं। यहां मां शारदा पिंडी रूप में विराजमान हैं।

सिमसा देवी के मंदिर मंदिर उत्तर भारत में प्रसिद्ध है विशेषकर हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में। यह मंदिर कितना पुराना है व प्राचीन है, इसका अभी तक पता नहीं चला है, लेकिन मंदिर के आस पास के गांव वालों की माने तो यह मंदिर 400 वर्ष पुराना है।

प्राचीन मान्यता के अनुसार जो महिलायें इस मंदिर में संतान की प्राप्ति हेतु दिन रात मंदिर के फर्श पर सोती हैं और सिमसा माता स्वप्न में आकर दर्शन देती है और संतान प्राप्ति हो आर्शीवाद देती है।

ऐसा कहा जाता है कि सिमसा माता स्वप्न में ही संतान के लिंग का भी संकेत देती हैं। निःसंतान महिला को स्पप्न में यदि अमरूद का फल मिलता है तो उसे लड़का होगा और यदि भिंडी मिलती है तो लड़की होगी ऐसी मान्यता है। इसके अलावा यदि महिला को सपने में कोई धातु, लकड़ी या वस्तु मिलती है तो इसका अर्थ यह है कि उसे कोई संतान नहीं होगी।

सिमसा माता के मंदिर में नवरात्रि में खास कार्यक्रम आयोजित होते हैं। इस दौरान यहां सलिन्दरा या सेलिंद्रा उत्सव मनाया जाता है। सेलिन्दरा का अर्थ होता है सपने में आना। कहा जाता है कि यह उत्सव बेहद खास होता है और इस दौरान हिमाचल प्रदेश के पड़ोसी राज्यों से निःसंतान महिलाएं संतान की इच्छा लेकर इस मंदिर में माता के दर्शन के लिए आती हैं। मंदिर परिसर में सोने के बाद माता की कृपा से संतान का सुख प्राप्त होता है।




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