भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपराएं इतनी गहराई से जुड़ी हैं कि हर महीने, हर तिथि अपने आप में एक पवित्र संदेश लेकर आती है। वैशाख माह, हिन्दू पंचांग का एक अत्यंत पवित्र और पुण्यदायी महीना है, जो आमतौर पर अप्रैल और मई के बीच आता है। भारतीय राष्ट्रीय कैलेंडर में यह वर्ष का दूसरा महीना माना जाता है।
हिंदू धर्म में हर पूर्णिमा को शुभ और दिव्य माना गया है, लेकिन वैशाख पूर्णिमा का स्थान विशेष है। यह वर्ष की दूसरी पूर्णिमा होती है और इसे धर्म, दान, और स्नान का महापर्व कहा जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से शरीर ही नहीं, आत्मा भी शुद्ध होती है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन पुण्य कार्य करता है, उसे अनेक जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है।
श्रीकृष्ण के बाल्यकाल के प्रिय मित्र सुदामा जब द्वारका श्रीकृष्ण से मिलने पहुंचे, तब भगवान ने उन्हें सत्य विनायक व्रत का विधान बताया। इस व्रत के प्रभाव से सुदामा की दरिद्रता दूर हो गई और वह अपार ऐश्वर्य से भर गया। यह कथा हमें सिखाती है कि श्रद्धा और विश्वास से जीवन में कोई भी बदलाव संभव है।
वैशाख पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण व्रत का विशेष महत्व है। भक्तगण इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करते हैं, जो भगवान विष्णु का एक दयालु और करुणामयी स्वरूप हैं। व्रत करने वाले उपवास रखते हैं, कथा सुनते हैं, और प्रसाद में सत्तू, फल, मिठाई बांटते हैं।
इस दिन दान का भी विशेष महत्व होता है। सत्तू, मिठाई, वस्त्र, फल और जरूरतमंदों को भोजन दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। यह न केवल समाज को मजबूती देता है, बल्कि व्यक्ति के भीतर करुणा और सेवा भाव भी जाग्रत करता है।