कार्तिक पूर्णिमा (देव दीपावली) पर पूजा विधि, महत्व और 365 दीपक का रहस्य

कार्तिक मास हिंदू धर्म में सबसे पवित्र महीना माना जाता है, और इसकी पूर्णिमा का दिन तो अक्षय पुण्य प्रदान करने वाला होता है। इस दिन को देव दीपावली या त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

कार्तिक पूर्णिमा वह तिथि है जब देवी-देवता पृथ्वी पर आकर दीपावली मनाते हैं। इस दिन स्नान, दान और दीपदान का महत्व स्वयं शास्त्रों ने बताया है।

कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

  1. त्रिपुरी पूर्णिमा: इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक शक्तिशाली राक्षस का वध करके देवताओं को भयमुक्त किया था।

  2. देव दीपावली: राक्षस के वध की खुशी में सभी देवी-देवताओं ने स्वर्ग में दीपक जलाए थे, इसलिए इसे देव दीपावली भी कहते हैं।

  3. विष्णु पूजा: यह दिन भगवान विष्णु को अति प्रिय है। मान्यता है कि कार्तिक मास में भगवान विष्णु जल में निवास करते हैं, और इस दिन उनकी पूजा से सभी पापों का नाश होता है।

  4. गंगा स्नान: इस दिन गंगा नदी या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने से पूरे साल स्नान करने के बराबर पुण्य फल मिलता है।

🙏 कार्तिक पूर्णिमा की सरल पूजा विधि

इस दिन पूजा और दीपदान के लिए प्रदोष काल (शाम का समय) सबसे शुभ माना जाता है।

  1. स्नान: सूर्योदय से पूर्व उठकर किसी पवित्र नदी (गंगा, यमुना आदि) में स्नान करें। अगर नदी संभव न हो, तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।

  2. सूर्य को अर्घ्य: स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर सूर्य देव को जल अर्पित करें।

  3. संकल्प और पूजा: पूजा स्थल की सफाई करके एक चौकी पर भगवान विष्णु (या शालिग्राम) और माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।

    • हाथ में जल, फूल और चावल लेकर पूजा का संकल्प लें।

    • उन्हें कुमकुम, हल्दी, अक्षत (चावल), फल और मिठाई अर्पित करें।

    • विष्णु चालीसा और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।

  4. दीपदान: शाम के समय दीपदान करें। यह दीपदान घर के अंदर और बाहर दोनों जगह किया जाता है।

🔥 365 दीपक क्यों जलाए जाते हैं? क्या है इसका रहस्य?

कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान करने का विधान तो है, लेकिन 365 बाती का एक दीपक जलाना एक विशेष परंपरा है, जिसका गहरा आध्यात्मिक अर्थ है:

  • साल भर के पुण्य का प्रतीक: 365 दीपक पूरे साल के 365 दिनों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा की शाम को 365 बातियों वाला यह एक दीपक जलाने से व्यक्ति को पूरे वर्ष किए गए दीपदान का फल एक साथ प्राप्त हो जाता है।

  • पापों का नाश: यह दीपदान उन लोगों के लिए भी विशेष फलदायी है जो पूरे कार्तिक मास में स्नान-दीपदान नहीं कर पाते हैं। इसे जलाने से पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

  • सकारात्मक ऊर्जा: इस दीपदान से घर के वास्तु दोष दूर होते हैं और नकारात्मक ऊर्जा का अंत होता है।

365 बाती बनाने की आसान विधि

  1. सामग्री: एक पवित्र कलावा (लाल-पीला धागा) या कच्चा सूत लें।

  2. बत्ती तैयार करना: इस धागे को अपने हाथ पर 183 बार लपेटें। जब आप इसे बीच से काटकर सीधा करेंगे, तो धागों की संख्या लगभग 365 (या 366) हो जाएगी।

  3. दीपक का पात्र: इस बाती को देशी घी या तेल से भरे एक मिट्टी के बड़े पात्र या कटे हुए नारियल में स्थापित करें।

  4. स्थापित करना: इस विशेष दीपक को घर के मंदिर में, तुलसी के पौधे के पास, या पीपल के पेड़ के नीचे जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है।

🪔 आप कितने दीपक जला सकते हैं?

365 दीपक जलाना एक विशेष विधान है, लेकिन यदि यह संभव न हो, तो आप अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार निम्नलिखित संख्या में दीपक जला सकते हैं:

  • शुभता के लिए: 11 या 21 दीपक।

  • बाधाओं से मुक्ति के लिए: 51 दीपक।

  • मोक्ष और संपूर्ण पुण्य के लिए: 108 दीपक।

याद रखें, दीपक जलाने का सबसे उत्तम समय प्रदोष काल (शाम) होता है, और दीपदान करते समय सच्चे मन से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी से सुख-समृद्धि की प्रार्थना करनी चाहिए।




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