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काशी वाले देवघर वाले, भोले डमरू धारी
खेल तेरे हैं निराले शिव शंकर त्रिपुरारी
जयति जयति जय कशी वाले, काशो वाले देवघर वाले
खेल हैं तेरे नाथ निराले, जय शम्भू जय जय शम्बू
जो भी तेरा ध्यान धरे, उसका सुर नर मौन करे
जनम मरण से वो उभरे, भोले चरण तुम्हारे जो धरले
दया करो विष पीने वाले, भक्त जानो के तुम रखवाले
तुम बिन नैया कौन संभाले, जय शम्भू जय जय शम्बू
ऐसे हो औगड़दानी, देते हो वार मन मानी
भस्मासुर था अभिमानी, भस्मसुर की शैतानी
पारवती बन विष्णु आए, दगाबाज नो मज़ा चखाए
भांग धतूरा आप ते खाए, जय शम्भू जय जय शम्बू
अपनी विपदा किसे सुनाएँ, मन में इक आशा हैं ललए
श्री चरणो की धुल मिले जो नैयन हमारे दर्शन पाएं
आस हमारी पूरी करदो, मेरी खाली झोली भरदो,
एक नज़र मुझ पे भी करदो, जय शम्भू जय जय शम्बू
जो भी आया तेरे द्वारे, जागे उसके भाग्य सितारे
मैं शरणागत शरण तिहारे, बोले शरण तिहारे, शरण तिहारे
करूँ नहीं कोई लाखों टारे,
‘शर्मा’ को मत भूलो स्वामी, हे कैलाशी अन्तर्यामी
ओम नमो शिव नमो नमामि, जय शम्भू जय जय शम्बू