गोवर्धन पूजा, यह एक हिन्दू त्योहार है। यह त्योहार दीपावली के अगले दिन, गोवर्धन पूजा की जाती है। इस त्योहार का अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता हैं। यह त्योहार पूरे भारत और विदेशों में अधिकांश हिंदू संप्रदायों द्वारा मनाया जाता है। इस त्योहार में भगवान श्री कृष्ण के लिए एक बड़े पैमाने पर विभिन्न प्रकार के शाकाहारी भोजन तैयार करते हैं और उन्हें अर्पित करते हैं। वैष्णवों के लिए यह महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इस दिन भागवत पुराण में उस घटना को याद करता है जब भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन के ग्रामीणों को मूसलाधार बारिश से बचाने के लिए गोवर्धन पहाड़ी को उठाया था।
इस दिन भगवान को एक अनुष्ठान के रूप में याद किया जाता हैं और भगवान की शरण लेने के लिए उनकी आस्था को नवीनीकृत करते हैं। इस त्यौहार का भारतीय लोकजीवन में काफी महत्व है। इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा सम्बन्ध दिखाई देता है। इस पर्व की अपनी मान्यता और लोककथा है।
ब्रजवासियों द्वारा, श्रीकृष्ण के कहने पर इन्द्र देवता की पूजा नहीं कि, तो इन्द्र ने क्रोधवश ब्रजवासियों पर मूसलधार वर्षा करी थी। जब कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार वर्षा से बचने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उँगली पर उठाकर रखा और गोप-गोपिकाएँ उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे। सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तब इन्द्र ने भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी और तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा।