धनतेरस 2023

धनतेरस 2023

महत्वपूर्ण जानकारी

  • धनतेरस 2023
  • शुक्रवार, 10 नवंबर 2023
  • त्रयोदशी तिथि शुरू: 10 नवंबर 2023 दोपहर 12:35 बजे
  • त्रयोदशी तिथि समाप्त: 11 नवंबर 2023 दोपहर 01:57 बजे
  • धनतेरस पूजा मुहूर्त: 05:47 अपराह्न से 07:43 अपराह्न​
  • क्या आप जानते हैं: ऐसा माना जाता है कि धनतेरस के शुभ दिन सोना, चांदी और बर्तन खरीदने से साल भर समृद्धि बनी रहती है। भारत सरकार ने धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।

कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के रूप में मनाई जाती है। यह दीपावली के आने की शुभ सूचना है। इस दिन धन्वंतरि के पूजन का विधान होता है। ऐसा कहा जाता हैं कि इस दिन धन्वंतरि वैद्य समुद्र से अमृत कलश लेकर आये थे। इसलिए इस तिथि को धनतेरस, धनत्रयोदशी और ‘धन्वंतरि जयन्ती’ भी कहा जाता है। भारत सरकार ने धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।

जैन धर्म में भी यह तिथि बहुत महत्वूपर्ण होती है। आगम में धनतेरस को ‘धन्य तेरस’ या ‘ध्यान तेरस’ भी कहते हैं। भगवान महावीर इस दिन तीसरे और चैथे ध्यान में जाने के लिये योग निरोध के लिये चले गये थे। तीन दिन के ध्यान के बाद योग निरोध करते हुये दीपावली के दिन भगवान महावीर को निर्वाण प्राप्त हुआ था। तभी से यह दिन ‘धन्य तेरस’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

इस दिन घर के टूटे-फूटे पुराने बर्तनों के बदले नये बर्तन खरीदते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन धन से वस्तु खरीदने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है। इस अवसर पर लोग धनिया के बीज खरीद कर भी घर में रखते हैं। दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं।

इस दिन चाँदी के बर्तन खरीदना अत्याधिक शुभ माना जाता हैं। क्योंकि चाँदी चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में सन्तोष रूपी धन का वास होता है।

धनत्रयोदशी के दिन समुद्र मंथन के दौरान देवी लक्ष्मी दूध के सागर से निकलीं। इसलिए, त्रयोदशी के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

एक लोकप्रिय किंवदंती के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने अमृता (अमरता का दिव्य अमृत) के लिए समुद्र मंथन (समुद्र मंथन) किया, तो धन्वंतरि (देवताओं के चिकित्सक और विष्णु के अवतार) का एक जार लेकर उभरा। धनतेरस के दिन अमृत।

इस दिन वैदिक देवता यमराज का भी पूजन किया जाता है। यम के लिए आटे का दीपक में तेल डालकर चा बत्तियाँ जलाती हैं। जल, रोली, चावल, गुड़, और फूल आदि नैवेद्य सहित दीपक जलाकर यम का पूजन करती हैं।

कथा

एक बार भगवान विष्णु लक्ष्मीजी सहित पृथ्वी पर घूमने आये। कुछ देर बाद भगवान विष्णु लक्ष्मीजी से बोले - मैं दक्षिण दिशा की ओर जा रहा हूँ। तुम यहीं ठहरो, परन्तु लक्ष्मीजी भी विष्णुजी के पीछे चल दीं। कुछ दूर चलने पर ईख का खेत मिला। लक्ष्मीजी एक गन्ना तोड़कर चूसने लगीं। भगवान लौटे तो उन्होंने लक्ष्मीजी को गन्ना चूसते पाया। इस पर विष्णु जी ने लक्ष्मीजी पर क्रोधित हो गये और लक्ष्मी को शाप दे दिया कि मैंने तुम्हें इधर आने को मना किया था, पर तुम न मानी और किसान की चोरी का अपराध कर बैठी। अब तुम इस अपराध के जुर्म में इस किसान की 12 वर्ष तक सेवा करो। ऐसा कहकर भगवान उन्हें छोड़कर क्षीरसागर चले गए। तब लक्ष्मी जी उस गरीब किसान के घर रहने लगीं।

बारह वर्ष पश्चात् लक्ष्मीजी भगवान विष्णु के पास जाने के लिए तैयार हो गई परन्तु किसान ने उन्हें जाने नहीं दिया। भगवान विष्णु लक्ष्मीजी को बुलाने आये परन्तु किसान ने उन्हें रोक दिया। तब विष्णु भगवान बोले - तुम परिवार सहित गंगा स्नान करने जाओ ओर इन कौड़ियों को भी गंगाजल में छोड़ देना तब तक मैं यहीं रहूँगा।

किसान ने ऐसा ही किया। गंगाजी मे कौड़ियाँ डालते ही चार चतुर्भज निकले और कौड़ियाँ लेकर चलने का उद्यत हुए। ऐसा आश्चर्य देखकर किसान ने गंगाजी से पूछा-  ये चार हाथ किसके हैं। गंगाजी ने किसान को बताया कि ये चारों हाथ मेरे ही थे। तुमने जो मुझे कौड़िया भेंट की है, वे तुम्हें किसने दी है?
किसान बोला - मेरे घर में एक स्त्री पुरुष आये हैं। वे लक्ष्मीजी और विष्णु भगवान हैं। गंगा ने कहा तुम लक्ष्मीजी को मत जाने देना, नहीं तो तुम पुनः निर्धन हो जाओगे।

किसान ने घर लौटने पर लक्ष्मीजी का नहीं जाने दिया। तब भगवान ने किसान को समझाया कि मेरे श्राप के कारण लक्ष्मीजी तुम्हारे यहाँ बारह वर्ष से तुम्हारी सेवा कर रही हैं। फिर लक्ष्मीजी चंचल हैं, इन्हें बड़े-बड़े लोग नहीं रोक सके, तुम हठ मत करो।

फिर लक्ष्मीजी बोलीं हे- किसान! यदि तुम मझे रोकना चाहते हो तो कल धनतेरस है। तुम अपना घर स्वच्छ रखना। रात्रि में घी का दीपक जलाकर रखना। मैं तुम्हारे घ आऊँगी।

तुम उस वक्त मेरी पूजा करना परन्तु मै। अदृश्य रहँगी।

किसान ने लक्ष्मीजी की बता मान ली और लक्ष्मीजी द्वारा बताई विधि से पूजा की। उसका घर धन-धान्य से भर गया। इस प्रकार किसान प्रति वर्ष लक्ष्मीजी को पूजने लगा तथा अन्य लोग भी उनका पूनज करने लगे।

यमराज कथा

एक बार यमदूतों ने यमराज को बताया कि महाराज अकाल मृत्यु से हमारे मन भी पसीज जाते हैं। यमराज ने द्रवित होकर कहा, ‘क्या किया जाए? विधि के विधान की मर्यादा  हेतु हमें ऐसा अप्रिय कार्य करना पड़ता है। यमराज ने अकाल मृत्यु से बचने का उपाय बताते हुए कहा, ‘धनतेरस के पूजन एवं दीपदान को विधिपूर्वक अर्पण करने से अकाल मृत्यु से छुटकारा मिल सकता है। जहाँ जहाँ जिस जिस घर में यह पूजन होता है वहाँ अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। इसी घटना से धनतेरस के दिन धन्वंतरि पूजन सहित यमराज को दीपदान की प्रथा का प्रचलन हुआ था।




अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


क्यों मनाया जाता है धनतेरस का त्योहार?

इस दिन समुद्र के समय धन्वंतरि वैद्य समुद्र से अमृत कलश लेकर आये थे और धनत्रयोदशी के दिन समुद्र मंथन के दौरान देवी लक्ष्मी दूध के सागर से निकलीं।


धनतेरस का त्यौहार 2023 में कब है?

धनतेरस का पर्व शुक्रवार, 10 नवंबर, 2023 को है। धनतेरस का पर्व त्रयोदशी के दिन पड़ता है और इस दिन त्रयोदशी 10 नवंबर 2023 को दोपहर 12:35 बजे से शुरू होकर 11 नवंबर 2023 को दोपहर 01:57 बजे समाप्त होगी। .


धनतेरस का त्यौहार पर क्या खरीदना शुभ होता है ?

इस दिन चाँदी के बर्तन खरीदना अत्याधिक शुभ माना जाता हैं। क्योंकि चाँदी चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में सन्तोष रूपी धन का वास होता है।

इस दिन घर के टूटे-फूटे पुराने बर्तनों के बदले नये बर्तन ख़रीदना चाहिये । ऐसा माना जाता है कि इस दिन धन से वस्तु खरीदने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है। इस अवसर पर लोग धनिया के बीज खरीद कर भी घर में रखते हैं। दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं।







2023 के आगामी त्यौहार और व्रत











दिव्य समाचार











Humble request: Write your valuable suggestions in the comment box below to make the website better and share this informative treasure with your friends. If there is any error / correction, you can also contact me through e-mail by clicking here. Thank you.

EN हिं