बुलेट बाबा मंदिर - राजस्थान

महत्वपूर्ण जानकारी

  • पता: राजपुताना होटल के सामने, राष्ट्रीय राजमार्ग 62, ओम बन्ना, राजस्थान 306421
  • निकटतम रेलवे स्टेशन: बुलेट बाबा मंदिर मंदिर से लगभग 19.9 किलोमीटर की दूरी पर पाली रेलवे स्टेशन।
  • निकटतम हवाई अड्डा: बुलेट बाबा मंदिर मंदिर से लगभग 51.7 किलोमीटर की दूरी पर जोधपुर हवाई अड्डा।
  • जिला: पाली
  • क्या आप जानते हैं: यह एक ऐसा मंदिर है जिसमें रॉयल एनफील्ड बुलेट की पूजा की जाती है..

ओम बन्ना या बुलेट बन्ना भी कहा जाता है। भारत के जोधपुर के पास पाली जिले में स्थित एक मंदिर है, जो एक मोटरसाइकिल के रूप में एक देवता को समर्पित है। इस मंदिर को बुलेट बाबा मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का अपना कोई इतिहास नहीं है परन्तु फिर भी यह मंदिर राजस्थान के प्रसिद्ध मंदिरों में इसका नाम आता है। यह भारत का एक ऐसा मंदिर है जिसमें एक रॉयल एनफील्ड बुलेट मोटरसाइकिल की पूजा की जाती है। मोटरसाइकिल एक 350 सीसी रॉयल एनफील्ड बुलेट आरएनजे 7773 है।

यह मंदिर पली से 20 किलोमीटर और चोटीला गांव के पास पाली-जोधपुर राजमार्ग पर जोधपुर से 50 किलोमीटर दूर स्थित है।

स्थानीय लोगों के अनुसार, एक गांव के नेता ओम सिंह राठौर, 2 दिसंबर 1991 में अपनी बुलेट मोटरसाइकिल से शहर से चटिला गांव जा रहे थे। अपनी मोटइसाईकिल पर नियंत्रण खोने से एक पेड़ से टकराकर दुर्घटना हो गई। दुर्घटना के बाद, मोटरसाइकिल को स्थानीय पुलिस ने जब्त कर लिया और पुलिस स्टेशन पर ले जाया गया। लेकिन अगली सुबह मोटरसाइकिल को दुर्घटना स्थल में पाया गया था। पुलिस इसे फिर से पुलिस थाने में ले गई है और जंजीरों से बंधने की कोशिश करती है। मोटरसाइकिल के ईंधन टैंक खाली कर देती है। उनके प्रयासों के बावजूद, अगली सुबह मोटरसाइकिल फिर से गायब हो गई और दुर्घटना स्थल पर पाया गई।

यह स्थानीय लोग इसे एक चमत्कार के रूप में देखे लगे, और उन्होंने ‘बुलेट बाइक’ की पूजा करना शुरू कर दिया। चमत्कार मोटरसाइकिल की खबर निकटवर्ती गांवों में फैल गई और बाद में उन्होंने इस मोटरसाइकिल की पूजा करने के लिए एक मंदिर बनाया। यह मंदिर ‘बुलेट बाबा मंदिर’ के रूप में जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि ओम बन्ना की आत्मा परेशान यात्रियों की मदद करती है।

हर दिन ग्रामीण व यात्री स्वर्गीय मालिक ओम सिंह राठौर से प्रार्थना करते है और प्रसाद अर्पण करते है। कुछ ड्राइवर इस स्थान पर शराब की छोटी बोतल भी प्रदान करते हैं। भक्त अपने माथे पर ‘तिलक’ लागते हैं और मोटरबाइक पर एक लाल धागा बांधते हैं। बाद में अपनी यात्रा आरम्भ करते है।



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